लखनऊ। राष्ट्रीय हिंदी दैनिक ‘विश्ववार्ता’ के संदर्भ पुस्तकालय में गायत्री ज्ञान मंदिर इंदिरानगर के ट्रस्टीगणों और परिव्राजकों द्वारा रविवार को युगऋषि तपोमूर्ति पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के संपूर्ण वांग्मय की स्थापना की गई। युगऋषि का परम जीवनोपयोगी ऋषि साहित्य वीपी सविता ने अपनी स्वर्गीया माता रामकुंवर की स्मृति में विश्ववार्ता परिवार को भेंट किया। इस अवसर पर समाचार पत्र के सभी संवाददाताओं, छायाकारों और अधिकारियों को गायत्री ज्ञान मंदिर के ट्रस्टी डॉ. नरेंद्र देव ने ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान, शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा प्रकाशित पुस्तिका सफल जीवन की दिशा धारा भेंट की।
वांग्मय सथापना के मुख्य संयोजक उमानंद शर्मा ने इस अवसर पर युग ऋषि प्रणीत साहित्य का माहात्म्य बताते हुए कहा कि सद्ज्ञान मिले तो व्यक्ति नर से नारायण बन सकता है। उक्त वांग्मय विश्वकोष है। इसमें मानव जीवन की हर समस्या का निदान है। इस साहित्य के अनुशीलन और मनन से देश की दशा और दिशा बदल सकती है। नवस्फूर्ति और नवचेतना का संचार होता है। विश्व मानव को यह युगऋषि की अनमोल धरोहर है। अपनी हड्डियों को तपाकर उन्होंने विचारों का फौलाद बनाया है। ये विचार देश ही नहीं, संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करने में समर्थ हैं। उन्होंने बताया कि गायत्री ज्ञान मंदिर के तत्वावधान में यह 249वां वांग्मय स्थापना समारोह है। पूज्य गुरुदेव का यह साहित्य अब तक राजभवन, विधानसभा, सचिवालय, आईआईएम, पीजीआई, केजीएमसी, एनबीआरआई, लखनऊ विश्वविद्यालय, नदवा, जमायते इस्लामी हिंद और रहमान फाउंडेशन, हजरतगंज कैथोलिक चर्च, आशियाना गुरुद्वारा में पहले ही स्थापित हो चुका है। सभी धर्मों की शिक्षण संस्थाओं और शहर के नामचीन प्रबंध और तकनीकी शिक्षण संस्थानों में पूज्य गुरुदेव का संपूर्ण साहित्य पहले ही स्थापित हो चुका है। हिंदी संस्थान, संस्कृत संस्थान,ज्योतिष शोध संस्थान,स्पोट्र्स प्रशिक्षण संस्थान,शहर के सार्वजनिक पुस्तकालयों,निजी पुस्तकालयों में भी इस आर्ष साहित्य की स्थापना की गई है। लखनऊ से प्रकाशित हिंदी और अंग्रेजी के लगभग सभी समाचार पत्रों में युगऋषि के संपूर्ण वांग्मय की स्थापना हो चुकी है। गायत्री ज्ञान मंदिर का लक्ष्य 301 संस्थानों में आचार्यश्री का वांग्मय स्थापित करने की है। इस क्रम में यह हमारा 249 वां प्रयास है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य पूज्य गुरुदेव के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का है। उन्होंने अपेक्षा की कि विश्ववार्ता उनके इस प्रयास में सहयोगी बने। ‘विश्ववार्ता’ के संपादक सियाराम पांडेय ‘शांत’ ने आचार्यश्री प्रणीत साहित्य और उनके हर शब्द को मंत्र करार दिया और इसे लोकजीवन के लिए हितकारी बताया। उन्होंने आचार्यश्री के विचारों के प्रचार-प्रसार की दिशा में यथासंभव सहयोग का भी आश्वासन दिया। समाचार पत्र को युगऋषि का साहित्य उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने गायत्री परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर गायत्री ज्ञान मंदिर, इंदिरानगर के परिव्राजक उमानंद शर्मा, ट्रस्टी डॉ. नरेंद्र देव, ट्रस्टी उदयभान सिंह भदौरिया, सरोज कुमार मिश्र, विश्ववार्ता के संपादकीय मंडल के सहयोगी और प्रेसकर्मी बड़ी तादाद में उपस्थित थे।