राफेल सौदे (Rafale Deal) की जेपीसी जांच और तीन तलाक विधेयक (Triple Talaq Bill) को संयुक्त प्रवर समिति को भेजे जाने के मुद्दे पर संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध कायम है। सरकार राफेल पर जेपीसी जांच की मांग को स्वीकार करती हुई नहीं दिख रही है, तो विपक्ष ने राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पर पेच फंसा दिया है। ऐसे तमाम मुद्दों को लेकर लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) से हिन्दुस्तान के ब्यूरो चीफ मदन जैड़ा ने बातचीत की।
सवाल: सरकार जेपीसी बनाने को तैयार नहीं है, आगे आपकी क्या रणनीति रहेगी?
मल्लिकार्जुन खड़गे : हमें रणनीति तय करने की आवश्यकता नहीं। हमारा तो सीधा सवाल है। यूपीए सरकार में राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई। पहले विमान की कीमत 525 करोड़ रुपये थी, जो बाद में बढ़कर 560 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन वही राफेल विमान चार साल के बाद 1,670 करोड़ रुपये का कैसे हो गया? हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि यूपीए सरकार में जो सौदा हो रहा था, उसमें 126 जहाज खरीदे जाने थे। इनमें से 18 तैयार होकर मिलने थे। बाकी को तकनीक हस्तांतरण के जरिये एचएएल में बनाया जाना था। इस तरह, एक तो सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ। दूसरा, दाम तीन गुना हो गया। फिर तकनीक का हस्तांतरण भी नहीं हुआ। जो रोजगार पैदा होते, वे नहीं होंगे। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, तो सरकार ने झूठा शपथ-पत्र दिया कि इसे सीएजी तथा पीएसी ने भी देख लिया है।
सवाल: क्या आपको लगता है कि सरकार के शपथ-पत्र से फैसला प्रभावित हुआ?
मल्लिकार्जुन खड़गे : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के शपथ-पत्र को सुबूत के तौर पर देखा। वह सच मानकर बैठा कि इस मामले को सीएजी ने भी देख लिया है। पीएसी ने भी देख लिया है। इसलिए उसने सौदे पर कुछ नहीं कहा।
सवाल: सरकार का कहना है कि ऐसे मामलों में जेपीसी जांच का कोई नतीजा नहीं निकलता। बोफोर्स पर भी बनी थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला?
मल्लिकार्जुन खड़गे: जब जेपीसी की जरूरत नहीं है, तो फिर जेपीसी है ही क्यों? सरकार खुद क्यों जेपीसी बनाती है? 2-जी पर क्यों बनाई गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी जांच करना उसके दायरे में नहीं आता है। इसलिए हम मांग कर रहे हैं कि जांच संसद में होनी चाहिए और यह काम जेपीसी को करना चाहिए। जेपीसी बैठेगी, तो उसके समक्ष फाइलें आएंगी। विभाग को बुलाया जाएगा। दरअसल, सरकार को अपने हिसाब से जो सही लगता है, वह बस वही करना चाहती है।
सवाल: आपने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने सही जानकारी नहीं दी, क्या इस मामले में कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाएगी?
मल्लिकार्जुन खड़गे: हमने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के एक महीने पहले ही पे्रस कांफ्रेंस करके कह दिया था कि इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो सकता। इसलिए यह प्रश्न नहीं उठता। सुप्रीम कोर्ट कोई जांच एजेंसी तो है नहीं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार ने जो तथ्य रखे, उसे माना गया। हम पहले ही कह चुके है कि यह जांच संसद को करनी चाहिए। जेपीसी बननी चाहिए।
सवाल: सीएजी और अटॉर्नी जनरल को पीएसी में तलब करेंगे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: मैंने कहा था कि हम पीएसी के सदस्यों से निवेदन करेंगे। क्या वाकई सीएजी ने रिपोर्ट सौंपी है? कहीं सीएजी ने ऐसा गलती से तो नहीं बोला? सीएजी की रिपोर्ट, खासकर उसकी सिफारिशों की छानबीन पीएसी करती है। दूसरे, अटॉर्नी जनरल से भी पूछेंगे। अब चूंकि नए तथ्य सामने आए हैं, इसलिए जब पीएसी की पूर्ण बैठक होगी, उसमें इस मुद्दों को रखेंगे। उस पर पूरी चर्चा होगी। हो सकता है कि यह भी राय बने कि जब रिपोर्ट पेश ही नहीं हुई, तो सीएजी को क्यों बुलाते हो?
सवाल: राफेल कितना बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा?
मल्लिकार्जुन खड़गे: यह हमारे लिए चुनावी मुद्दा नहीं है। राफेल सौदे का विरोध हम चुनाव के लिए नहीं कर रहे। देशहित में कर रहे हैं। गरीबों का पैसा टैक्स के रूप में सरकार के पास जमा होता है। उसे कोई अपने दोस्तों की मदद करने के लिए खर्च करे, तो यह ठीक नहीं है। जिस कंपनी को ऑफसेट का काम दिया गया है, उसके पास पैसा नहीं है, तकनीक नहीं है, उसके ऊपर बैंकों का बहुत बकाया है। सरकार लड़ाकू विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी एचएएल की बजाय दोस्त को मजबूत कर रही है। हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। इसलिए यह देशहित का मुद्दा है। चुनावी मुद्दे तो अलग हैं।
सवाल: मिशेल के प्रत्यर्पण को राफेल का जवाब माना जा रहा है। इसके जरिए पुराने रक्षा सौदों में कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता की बात कही जा रही है?
मल्लिकार्जुन खड़गे: उस पर नाम लेने का दबाव डाला जा रहा है। कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। 30-35 साल पुरानी बातों को ढूंढ़कर निकाला जा रहा है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सताया जा रहा है। अब तो यह सरकार एक ऐसा नियम लेकर आई है, जिसमें लोगों के कंप्यूटरों को भी इंटरसेप्ट किया जाएगा, ताकि लोगों में डर का माहौल पैदा हो। सबको डराया जा रहा है। और तो और, सरकार खुद अपनी पार्टी के लोगों को डरा रही है।
सवाल: यदि आप सत्ता में आए, तो क्या राफेल सौदा रद्द कर देंगे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: यह तब देखेंगे। लेकिन इतना तो तय है कि हमारा स्टैंड रहेगा कि ऑफसेट का कार्य पब्लिक सेक्टर की कंपनी एचएएल को दिया जाए, क्योंकि यह सौदा देशहित में नहीं है। हम इसे नहीं चाहते हैं।
सवाल: तीन तलाक विधेयक फिर से राज्यसभा में है, क्या इसे पारित होने देंगे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: हम बहस के दौरान इस बिल की कमियां बताएंगे। पहले से ही हमारा पक्ष यह है कि इस विधेयक से आपराधिकता वाले प्रावधान को हटाया जाए। इसमें अभी भी पति के लिए तीन साल तक की सजा का प्रावधान कायम है। तलाक देने के मामले में ऐसी सजा का प्रावधान हिंदू, ईसाई समेत किसी भी धर्म में नहीं है, तो फिर ऐसा प्रावधान किसी के लिए भी नहीं होना चाहिए। कानून की नजर में सभी धर्म एक समान हैं। इसलिए इसमें दंड के प्रावधान से हम सहमत नहीं हैं। हम चाहते हैं कि मुस्लिम महिलाओं की हिफाजत हो। इसके लिए जो भी करना होगा, सब मिलकर करेंगे। लेकिन जेल में डालने का प्रावधान नहीं होना चाहिए। तलाक के मामले में भरण-पोषण और मुआवजे का प्रावधान ठीक है। लेकिन जब पति को ही जेल में डाल दिया जाएगा, तो भरण-पोषण का इंतजाम कौन करेगा? इसलिए इस प्रावधान का हम विरोध करेंगे।
सवाल: तीन राज्यों में पार्टी की जीत को किस रूप में देखते हैं?
मल्लिकार्जुन खड़गे: इससे साफ जाहिर होता है कि लोग केंद्र सरकार से नाखुश हैं। यह सरकार अपने वादे पूरे करने में फेल हो गई है। चाहे वह काला धन की वापसी का हो, लोगों के खाते में 15 लाख रुपये डालने का वादा हो या फिर नौकरियां देने का। इसी प्रकार, नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भी लोग काफी परेशान रहे हैं। किसानों के अपने मुद्दे हैं। छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के नतीजों का संदेश साफ है कि लोग कांग्रेस की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं। कांग्रेस ने मनरेगा, खाद्य सुरक्षा, सूचना-शिक्षा का अधिकार जैसी पहल की थी। किसानों का कर्ज माफ किया। लेकिन कभी ढिंढोरा नहीं पीटा।
सवाल: क्या किसानों की कर्जमाफी के मसले को अपने घोषणा-पत्र में शामिल करेंगे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: यह बहुत बड़ा मुद्दा है। हम इसे घोषणा-पत्र में शामिल करेंगे और सत्ता में आने के बाद कर्जमाफी भी करेंगे। पर यह किस हद तक होगी, यह तभी तय किया जाएगा।
सवाल: क्या हिंदुत्व का मुद्दा भी चुनाव में छाया रहेगा?
मल्लिकार्जुन खड़गे: भाजपा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और वोटों के ध्रुवीकरण के लिए हिंदुत्व के मुद्दे को उठाती है। जैसे कभी मंदिर की बात, तो कभी गोरक्षा की बात, और कभी अल्पसंख्यकों की भावनाओं को चोट पहुंचाने की बात। लेकिन अब ये मुद्दे कारगर नहीं होंगे, क्योंकि लोग उन्हें अच्छी तरह से समझ गए हैं।
सवाल: लेकिन नरम हिंदुत्व के रास्ते पर तो कांग्रेस भी चलती दिखाई देती है, क्या यह भाजपा के हिंदुत्व की काट के लिए है?
मल्लिकार्जुन खड़गे: नहीं, यह नरम हिंदुत्व का सवाल नहीं है। हमारी पार्टी में हर धर्म, हर संप्रदाय के लोग हैं। कांग्रेस में हिंदू भी हैं, मुस्लिम भी हैं, सिख भी हैं और ईसाई भी हैं, जैन-बौद्ध भी हैं। भारतीय जनता पार्टी में किस-किस धर्म के लोग एमपी-एमएलए हैं? इसलिए हम संविधान के दायरे में सभी धर्मों की बात करते हैं।
सवाल: क्या राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए?
मल्लिकार्जुन खड़गे: यह मामला अदालत में लंबित है। फैसला आने का इंतजार करना चाहिए।
सवाल: राहुल गांधी की पीएम उम्मीदवारी को लेकर महागठबंधन के दलों की राय अलग-अलग है, इसे कैसे देखते हैं?
मल्लिकार्जुन खड़गे: नेतृत्व को लेकर महागठबंधन का निर्णय क्या होगा, इसके बारे में मैं नहीं बोल सकता। हमारी तरफ से तो समय आने पर इसके बारे में हाईकमान ही निर्णय लेगा। लेकिन लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता होने के नाते मैं यह जरूर चाहूंगा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें। लेकिन जब महागठबंधन को निर्णय लेना होगा, तब इस विषय पर निर्णय लिया जाएगा। दरअसल, कुछ लोग महागठबंधन को तोड़ने के लिए जान-बूझकर अभी से यह विवाद पैदा कर रहे हैं।
सवाल: हालिया विधानसभा चुनाव क्या राहुल बनाम मोदी थे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: आप देखिए? किसने प्रचार किया? हमारी तरफ से हमारे नेता राहुल गांधी थे। उन्होंने ही प्रचार की कमान संभाली हुई थी। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कमान संभाले हुए थे। तो इसका मतलब क्या हुआ?
सवाल: तो अगला चुनाव भी नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी तय है?
मल्लिकार्जुन खड़गे: देखिए। पहले भाजपा के लोग कहते थे कि कांग्रेस में कोई दमदार नेता नहीं है। लेकिन अब वे लोग (भाजपा) राहुल गांधी से डर रहे हैं। यह स्पष्ट हो चुका है कि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले नेता बन चुके हैं।
सवाल: कितनी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस इस बार चुनावी मैदान में उतरेगी?
मल्लिकार्जुन खड़गे: अभी संख्या नहीं बता सकते, क्योंकि महागठबंधन भी होना है। सीटों का बंटवारा होगा। इसलिए यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी।
सवाल: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन होगा?
मल्लिकार्जुन खड़गे: हमारी कोशिश तो यही है कि हरेक प्रांत में महागठबंधन हो। इसके लिए हम खुले दिमाग से सोच रहे हैं। राहुलजी ने कहा है कि समान सोच वाले दलों को एक साथ आना चाहिए। जो भाजपा की विचारधारा को परास्त करने के इच्छुक हों।
सवाल: उर्जित पटेल के इस्तीफे और सीबीआई निदेशक को हटाए जाने के मामले को आप कैसे देखते हैं?
मल्लिकार्जुन खड़गे: दरअसल, सरकार के आर्थिक प्रबंधन का दिवाला निकल गया है। अब चुनाव निकट हैं। अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए उसे कुछ योजनाओं के लिए धन चाहिए, जो वह रिजर्व बैंक से चाहती थी। हमें पता चला है कि उर्जित पटेल रिजर्व बैंक की पूंजी को इस प्रकार की लोक-लुभावन योजनाओं पर खर्च करने का विरोध कर रहे थे। जब उन पर दबाव बढ़ाया गया, तो उन्होंने झुकने की बजाय देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए इस्तीफा देना ठीक समझा। तमाम अर्थशा्त्रिरयों ने इसका विरोध किया है। सीबीआई का मामला भी सांविधानिक संस्थानों की स्वायत्तता में सीधे हस्तक्षेप का मामला है।
सवाल: जीएसटी और नोटबंदी चुनावी मुद्दा बनेंगे?
मल्लिकार्जुन खड़गे: जी हां, ये इस बार के चुनाव के प्रमुख मुद्दे हैं। इसके अलावा, हम किसानों के मुद्दे, सांविधानिक संस्थानों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप, शिक्षा के भगवाकरण, जनता से किए गए वादे पूरे करने में इस सरकार की नाकामी को भी जोर-शोर से उठाएंगे।