वाराणसी। पिछले साल गणेश प्रतिमा विसर्जन के दौरान आज ही के दिन संतों बटुकों और नागरिकों पर गोदौलिया चौराहे पर हुए बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में काशी के संतो ने यहां के ईश्वरगंगी स्थित पातालपुरी मठ में कड़ी सुरक्षा के बीच काला दिवस मनाया। साथ ही श्रीनगर- जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में स्थित आर्मी बेस पर हुए आतंकी हमले में शहीद 18 जवानों की आत्मा के शान्ति के लिए यज्ञ हवन कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी।
इसके पूर्व लाठीचार्ज के विरोध में सन्तों के काला दिवस मनाने की घोषणा को देख जिला प्रशासन के पिछली गलतियों से सबक लेते हुए पाताल पुरी मठ सहित मणिकर्णिकाघाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम केदार घाट स्थित श्री मठ में सुरक्षा व्यवस्था की अभेद्व किलेबन्दी कर दी थी। इसके अलावा पातालपुरी मठ नरहरपुरा बड़ागणेश मैदागिन चौक गोदौलिया में भी शहर के कई थानों की फोर्स के साथ पीएसी बल को तैनात कर दिया था।
जिले के आला अफसर जिलाधिकारी विजय किरन आनन्द और एसएसपी पूरे सुरक्षा व्यवस्था की कमान खुद संभाल देर रात तक सन्तों को सुरक्षा कारणो से मठ में ही काला दिवस मनाने के लिए मना लिया था।साथ ही वह बराबर सन्तों के साथ बने भी रहे।
पाताल पुरी मठ में महन्त बालक दास के अगुवाई में जुटे सन्तों ने शासन-प्रशासन की सद्बुद्धि के लिए हवन, पूजन-अर्चन व संकीर्तन कर कहा कि उरी में हुए आतंकी हमले को देख सुरक्षा कारणो से गणेश चौक के गोदौलिया की बजाय यहां काला दिवस मनाया जा रहा है।
काला दिवस मनाने के बाद सन्तों ने राज्यपाल को सम्बोधित तीन सूत्रीय मांग निर्दोषों पर दर्ज मुकदमा वापस लेने,सनातन परम्परा के त्यौहारों में जिला प्रशासन द्वारा अवरोध न पैदा करने, गंगा में मूर्ति विर्सजन का मामला न्यायालय में जल्द से जल्द सनुवाई का ज्ञापन डीएम के प्रतिनिधि को सौंपा।
इस दौरान काला दिवस के संयोजक महंत बालकदास ने कहा कि पूर्व की षडयंत्र कारी घटना व हिन्दू धार्मिक आयोजन में व्यवधान को देखते हुए साधु-संतों ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव का माहौल है। कतिपय राजनीतिक दलों द्वारा इस काला दिवस के कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर माहौल खराब करने की साजिश रचने व संतों को फंसाने का कुत्सित षडयंत्र रचा जा रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेना पड़ा ताकि शहर में अमन— चैन बना रहे। किसी को किसी तरह की दिक्कत न हो। काला दिवस मनाने में महंत सर्वेश्वर दास, महंत ईश्वरदास, महंत केके दास, महंत अवध किशोर दास, महंत सत्यभूषण दास, महंत उमेश दास आदि सन्त और नागरिक शामिल रहे।