वैशाखी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो कि इस दिन जल से भरा हुआ कलश, पकवान और मिठाई के दान से गौदान के समान फल मिलता है. इस बार वैशाखी पूर्णिमा पर सिंहस्थ कुंभ में मुख्य स्नान भी किया गया.
आइए जानते हैं कि पूर्णिमा क्यों इतनी महत्वपूर्ण है…
पूर्णिमा तिथि का महत्व
– पूर्णिमा तिथि पूर्णत्व की तिथि मानी जाती है.
– इस तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है, सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं.
– इस तिथि पर जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है.
– चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि पर पृथ्वी और जल तत्व को पूरी तरह से प्रभावित करता है.
– चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं इसलिए सभी मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है.
– इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है.
– इस दिन श्री हरि या शिव जी की उपासना जरूर करनी चाहिए.
वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व क्या है?
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सभी पूर्णिमा तिथियों में वैशाख मास की पूर्णिमा का विशेष है क्योंकि इस दिन का संबंध बहुत से धार्मिक और पवित्र कर्मों से है.
– इस दिन को दैवीयता का दिन माना जाता है.
– इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था.
– इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष लाभकारी होता है.
– इस दिन ब्रह्म देव ने काले और सफेद तिलों का निर्माण भी किया था.
– इसलिए वैशाखी पूर्णिमा के दिन तिलों का प्रयोग जरूर करना चाहिए.
वैशाखी पूर्णिमा की खास बातें
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो कुछ खास संयोग इस बार की वैशाखी पूर्णिमा को और भी शुभ और फलदायी बना रहे हैं.
– वृश्चिक राशि में शनि, मंगल और चन्द्रमा का संयोग होगा.
– बृहस्पति, चन्द्रमा का गजकेसरी योग भी होगा.
– अमृत और अमरता का कारक चंद्रमा शुक्र की दृष्टि में होगा.
– इसके अलावा सुख को बढ़ाने वाला ग्रह शुक्र भी अपने घर में होगा.
– इस पूर्णिमा को स्नान और दान करने से चन्द्रमा की हर पीड़ा से मुक्ति मिलेगी.
– इस पूर्णिमा के स्नान और दान से आर्थिक स्थिति भी अच्छी होती जाएगी.
वैशाखी पूर्णिमा पर कैसे करें स्नान और ध्यान?
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को जल और आस-पास के वातावरण में अद्भुत सराकात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए इस दिन पवित्र नदियों के जल से स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. तो आइए जानते हैं कि वैशाखी पूर्णिमा पर कैसे करें स्नान, ध्यान और मंत्र जाप?
– सुबह स्नान से पहले संकल्प लें.
– पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें, फिर स्नान करना शुरू करें.
– स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें.
– साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें, फिर मंत्रों का जाप करें.
– मंत्र होंगे- “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः”
– “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः”
– केवल ” नमः शिवाय” का जाप भी कर सकते हैं.
– मंत्र जाप के बाद सफ़ेद वस्तुओं और जल का दान करें.
– इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें तो उत्तम होगा.