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फिश स्पा से होता है एड्स और हेपेटाइटिस का खतरा

1105181360_fish_spa1नई दिल्ली। अगर आप अपनी सुंदरता को लेकर हर वक्त फिक्रमंद रहती हैं और सुंदरता बढ़ाने के लिए हर नए-पुराने तरीकों को अपनाते हैं तो रुकिए और जानने की कोशिश कीजिए कि आपका तरीका कितना सही है। क्या आप पेडिक्योर करवाती हैं? क्या आप मेनिक्योर करवाती हैं? और इसके लिए क्या आप फिश स्पा का सहारा लेती हैं? अगर आप ऐसा करती हैं तो ये खबर आपके लिए है।

दरअसल आप अपनी सुंदरता निखारने के लिए जिन मछलियों के भरोसे पानी में उतरती हैं वो मछलियां भले ही आपकी काया को फौरी चमक देती हों, आपको बेहतरीन मसाज का आनंद देती हों। लेकिन ये तरीका आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ये तरीका आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि इस तरीके से आपको हो सकता है एड्स और हेपेटाइटिस का खतरा। ये अंदेशा हवा-हवाई नहीं है, बल्कि हेल्थ प्रोटेक्शन कंपनी ने इस तरह की आशंका जताई है। हेल्थ प्रोटेक्शन कंपनी की मानें तो फिश पेडिक्योर से एचआईवी वायरस और हेपेटाइटिस सी के संक्रमण का खतरा रहता है।

कैसे फैलता है इंफेक्शन

अब सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे फैल सकता है इंफेक्शन। कैसे है फिश स्पा से सेहत को इतना गंभीर खतरा और किनको है फिश स्पा से खतरा। कौन हैं ऐसे लोग जिन्हें फिश स्पा जाने से परहेज करना चाहिए। हेल्थ प्रोटेक्शन कंपनी के मुताबिक जिन लोगों को डायबिटीज और सोरोसिस है, उन्हें फिश स्पा जाने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा वो जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। यानी जिनके शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर है या वो जो बार-बार बीमार पड़ते हैं, उन्हें फिश स्पा जाने से बचना चाहिए।

हेल्थ प्रोटेक्टशन एजेंसी के मुताबिक कई बार फिश स्पा में पानी नहीं बदला जाता। एक मरीज के इस्तेमाल के बाद दूसरे के लिए भी वही पानी रहता है। ऐसे में, जब एचआईवी संक्रमित, एड्स पीड़ित या हेपेटाइटिस सी के मरीज स्पा में आते हैं और इसकी सेवा लेने वाले ऐसे मरीजों के जिस्म पर अगर जख्म होते हैं तो मछलियां इन जख्मों को भी कुरेद देती हैं। कुरेदे गए जख्म से खून का रिसाव होता है। और ये खून फिश स्पा के पानी को संक्रमित कर देता है।

इसके बाद तो ये पानी जल जनित वायरस के लिए स्वर्ग बन जाता है और डायबिटीज, सोरोसिस और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले मरीजों के लिए नर्क। ऐसे में जब इस पानी का इस्तेमाल दूसरे ग्राहकों को सेवा देने में किया जाता है तो उनके वायरस की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है।

बचने के लिए गाइडलाइंस

अब बढ़ते खतरे को देखते हुए एक हेल्थ एजेंसी की तरफ से फिश स्पा के लिए गाइडलाइंस जारी किए गए हैं। मछलियों के जरिए शरीर को सुंदर बनाने का साधन यानी फिश स्पा। मसाज और काया को चमकाने के इस अनोखे तरीके को दुनियाभर में लोगों ने खूब पसंद किया। हालत ये हो गई कि कुछ ही दिनों में फिश स्पा की दुकानें दुनियाभर में नजर आने लगीं। दनादन सैकड़ों फिश स्पा स्ट्रीट ब्यूटी सैलूंस, मॉल्स हेयर ड्रेसर्स और फैशन की दुकानों में खुल गईं और सब एक से बढ़कर एक लुभावने स्कीम्स की पेशकश करने लगे।

लेकिन जैसे ही फिश स्पा को वायरल बम की फैक्टरी कहा गया। हेल्थ एजेंसियों के कान खड़े हो गए। हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी ने फौरन फिश स्पा के लिए गाइडलाइंस जारी कर दिया। इस गाइडलाइन के मुताबिक फिश स्पा में साफ-सफाई का पूरी तरह से ध्यान रखा जाना चाहिए। हर ग्राहक के बाद स्पा के पानी को पूरी तरह बदला जाना चाहिए। पानी को बदले जाने से पहले टब को संक्रमणरहित किया जाना चाहिए। ग्राहकों के शरीर के जख्मों की जांच के बाद ही उन्हें ऐसी सेवाएं दी जानी चाहिए। जाहिर है खतरे का अंदाजा जिम्मेदार लोगों को है।

हेल्थ प्रोटेक्शन एजेंसी के एक अधिकारी कहते हैं कि हमने जनहित में गाइडलाइन जारी किया है। क्योंकि इन दिनों मशरूम की तरह फिश स्पा उग आए हैं और इनसे आम लोगों की सेहत पर खतरा मंडराने लगा है। ये बात सही है कि बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

इन्हीं खतरों को देखते हुए अमेरिका और कनाडा के कुछ हिस्सों में फिश स्पा पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। स्किन स्पेशलिस्ट पेट्रीशिया युएन चेतावनी देती हैं कि शरीर के घावों के पानी के संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है। एक्जीमा जैसी बीमारियों के शिकार लोगों को ज्यादा देर तक अपने शरीर को पानी में रहने से रोकना चाहिए। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के बॉयोलॉजिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय स्वरूप कहते है कि फिश स्पा के पानी को साफ रखने के लिए फिल्टरेशन, ओजोनाइजर और बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। समस्या तो यह है कि अधिकांश फिश-स्पा इन स्वास्थ्यकर हालात का ध्यान नहीं रखते।

क्या है फिश स्पा

फिश स्पा के प्रशंसकों के पास भी वाजिब वजहें हैं। पेडीक्योर और मेनीक्योर जैसे रोज के काम अगर मछलियां करने लगें तो इसका मजा तो बढ़ ही जाता है। शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी के साथ ही पूरे बदन में खून का बहाव तेज हो जाता है। ऐसे में स्पा से निकलने के बाद ताजगी का अहसास होना लाजिमी है। पेडीक्योर और मेनीक्योर का ये जरिया मछलियों के जरिए मसाज कर जाता है।

फिश स्पा लोगों को इस कदर पसंद आ रहा है कि बीते दो साल में सिंगापुर में करीब 20 ऐसे पार्लर खुल गए हैं। यहां पर डेड स्किन की सफाई के लिए मछलियों का सहारा लिया जाता है। इसके लिए गर्रा रूफा प्रजाति की मछलियों का इस्तेमाल होता है। प्रचार किया जाता है कि फिश स्पा के बाद स्किन तो चिकनी होती ही है। साथ ही स्किन संबंधी कई बीमारियों में भी फायदा होता है। दावों के बावजूद इस ट्रीटमेंट के मेडिकल इफैक्ट को पूरी तरह साबित नहीं किया जा सका है।

स्पा की शुरुआत टर्की में कनगाल नामक स्थान पर गर्म पानी के सोते से हुई। यहां 1917 में एक चरवाहे ने गर्रा रूफा मछली के फायदों का पता लगाया। कहा जाता है कि गर्रा रूफा मछली ऐसे एन्जाइम उत्सर्जित करती है, जो स्किन को नया बनाने में मददगार साबित होते हैं। सिंगापुर स्पा एसोसिएशन की अध्यक्ष मिस नैन्सी लिम फिश स्पा को खतरनाक बताती हैं। वो कहती हैं कि ये केवल नए ग्राहकों को फंसाने के मार्केटिंग फंडे हैं।

इस तरह के स्पा को मछलियां और दूसरी चीजें स्पलाई करने वाली एक संस्था के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रिंस वांग के मुताबिक करीब 50 फीसदी पार्लर इसके लिए गर्रा-रूफा की जगह उससे मिलती-जुलती चिन-चिन मछली का इस्तेमाल करते हैं। ये एक काटने वाली मछली है। ये मछली स्किन को नुकसान भी पहुंचा सकती है। यानी, मुनाफे के लिए फिश स्पा में गड़बड़ी भी शुरू हो गई है। ऐसे में फिश स्पा जाने वालों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।

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