लखनऊ। इस बार सावन माह की शुरूआत बुधवार से हो रही है। बुधवार को मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर मंदिर में मेला लगेगा और दूर दराज से आने वाले करीब दो लाख श्रद्धालु सुबह 2 बजे से रात 12 बजे तक दर्शन को जुटेंगे। इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी पूजन केदौर होंगे। सावन भर नगर के शिवमंदिरों में विशेष पूजन अर्चन के अलावा हर सोमवार रुद्राभिषेक पूजन अर्चन केदौर चलेंगे। नगर के मनमकामेश्वर मंदिर में महाभिषेक होंगे तो कोनेश्वर, कल्याण गिरि, राजेन्द्रनगर शिव मंदिर में सावन केसोमवार और हर दिन पूजन होंगे। सावन केहर सोमवार पर मनकामेश्वर मंदिर जाने वाले हजारों की संख्या में शिवभक्तों को गंगाजल बांटा जायेगा। सोमवार और बुधवार पर मेले लगेंगे। हर दिन रुद्राभिषेक होंगे। सावन का पहला सोमवार को 25 को होगा। एक अगस्त को दूसरा, आठ को तीसरा और 15 को अंतिम सोमवार का व्रत होगा। सात अगस्त को नागपंचमी होगी। सावन भर नगर के मंदिरों में अभिषेक समेत तमाम आयोजन हांगे। सदर के द्वादश ज्योर्तिलिंग मंदिर में हर दिन रुद्राभिषेक होगा। 20 जुलाई को हाता रामदास स्थित शिव मंदिर में पं. राजेंद्र पांडेय गुरु जी 25 परिवारों को एक साथ रुद्राभिषेक करायेंगे। ऐशबाग में 23 जुलाई को सवा लाख रुद्रों का अभिषेक किये जाने की तैयारी है। नगर के एकमात्र राजेंद्रनगर के महाकाल मंदिर में सोमवार की तड़के उज्जैन की तर्ज पर होने वाली भस्म आरती को लेकर भक्तों की कतार लगी है। आरती हर सोमवार सुबह तड़के ही होगी। मनकामेश्वर मंदिर में हर दिन रुद्राभिषेक केअलावा शाम को भजन संध्या पूजन होगी। कल्याण गिरि में भी रुद्राभिषेक-श्रृंगार की बुकिंग जोरों पर है। इसके अलावाल पुराने लखनऊ, ट्रांसगोमती केनामी मंदिरों में पूजन जोरों पर रहेंगे।
शिवोपासना का मास का है सावन-
श्रावण माह में भगवान शिव की उपासना, साधना, अराधना आदि का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। शास्त्रों मे कहा गया है कि श्रावण माह मे भगवान शिव के कैलाश आगमन के कारण शिवभक्त, शिव श्रद्धालु भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिये अनेकों तरह के उपाय करते हैं। शास्त्रों मे यहां तक कहा गया है कि श्रवण मास के सोमवार के व्रतमात्र से ही भगवान आशुतोष प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा वर देते हैं। शिवकृपा से भक्तों को दैहिक, वैदिक, भौतिक, आर्थिक आदि शुभ फ ल प्राप्त होते हैं। सुबह भोले केपूजन के लिये भगवान को फल, पुष्प, काले तिल, बिल्वपत्र, गंगाजल, शहद, घृत, गौदुग्ध, दधि, शर्करा, वस्त्र, मिठाइयों, मौसम फल, भांग, धस्तूरफल, ईखरस, ईख, बेल और बेर अर्पण कर पंचाक्षर जप से आराधना करनी चाहिये। बाद में घृत-कर्पूर से आरती उतारनी चाहिये। महानगर निवासी आचार्य प्रदीप ने बताया कि तमाम प्रकार के सुखों के लिये निम्न प्रकार से पूजन श्रेयस्कर रहेगा-
– वाहन सुख के लिये शिवलिंग को गुलाब के फूलों से ढक कर पूजन करें।
– संतान सुख के लिये धतूरों के फल से शिवपूजन करें।
– आरोग्यता के लिये कुशा से पूजन करें।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिये शर्करा या ईखरस से पूजन करें।
– अभीष्टï सिद्धि के लिये शहद से पूजन फलदायी रहेगा।
– समस्त सुखों की प्राप्ति के लिये गौदुग्ध से पूजन करें।
श्रावण मास में क्या करें:-
– ऊँ नम: शिवाय मन्त्र का जप प्रतिदिन 108 बार अवश्य करें।
– सावन के प्रत्येक सोमवार को शिवजी के साथ-साथ गणेश जी, पार्वती जी, नन्दी की भी पूजा करनी चाहिये ताकि पूर्ण फ ल प्राप्त हो सके।
– शिवजी का व्रत शुभकारक, फलकारक होता है इसलिये इसे पूर्ण श्रद्धा से करें, लाभ प्राप्त होगा।
– श्रावण मास में साग खाना वर्जित किया गया है।
– भगवान शिव की उपासना के साथ श्रद्धानुसार सुयोग्य पात्र का दान अवश्य करें।
– पूजन के उपरान्त कथा अवश्य सुनें लाभ मिलेगा।
– दीन – दुखियों, गरीबों की सेवा अवश्य करें।
– लघु मृत्युन्जय मन्त्र, महामृत्युन्जय मंत्र जप भी लाभकारी प्रतीत होगा।