चंडीगढ़। सीबीआई ने हरियाणा में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के सभी मामलों की जांच करने से इनकार कर दिया है। सीबीआई ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट को साफ कर दिया है कि इस आंदोलन में हुई हिंसा व आगजनी के जो केस पहले से सौंपे गए हैं, उनकी जांच शुरू हो चुकी है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार तथा सीबीआई ने अदालत में उस नोटिस का जवाब दिया जिसमें अदालत ने कहा था कि क्यों ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए 2000 से अधिक केसों की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। आज इस मामले में पेश हुए सीबीआई के वकील ने इतनी संख्या में केसों की जांच किए जाने पर असमर्थता व्यक्त कर दी।
अदालत ने यह नोटिस वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के भाई की उस याचिका पर जारी किया था जिसमें उन्होंने पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर असंतुष्टि व्यक्त की थी। हरियाणा सरकार ने अदालत के नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है। वित्त मंत्री का आवास जलाए जाने के मामले में आठ आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिनमें से पांच को गिरफ्तार किया जा चुका है। तीन आरोपियों को भगोड़ा करार दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।सरकार ने अदालत को बताया कि वह इस मामले में एक कमेटी का गठन करने की इच्छा रखती है ताकि जिन लोगों को पुलिस जांच पर भरोसा न हो वह उस कमेटी के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं। सरकार के इस तर्क पर अदालत ने चुटकी लेते हुए कहा कि बेहतर होता कि सोचने की बजाए अब तक कमेटी का गठन कर दिया जाता।