बार्डर पर तो सैनिक देशसेवा करता ही है, यहां बात एक ऐसे सैनिक की हो रही है जो बीते 18 साल से ऐसी अनोखी सेवा कर रहा है, जानकर उसपर गर्व होगा। बात 1998 की है। राजपूत रेजिमेंट के सूबेदार कर्मबीर सिंह से ट्रेन यात्रा के दौरान मुसाफिरों की प्यास देखी नहीं गई और उसी क्षण तय कर लिया कि वह प्यासे राहगीरों के लिए पानी का इंतजाम करेंगे।
इस प्रण को 18 साल हो गए। वह हर साल मई और जून महीने में फौज से छुट्टी लेकर अपने गांव के बस स्टैंड पर प्याऊ चलाते हैं और चलते वाहन रुकवाकर पानी पिलाते हैं। इन 18 वर्षों में केवल एक साल ऐसा रहा जब वे फौज से छुट्टी पर नहीं आ सके। भिवानी-हांसी मार्ग स्थित जाटू लोहारी गांव के कर्मबीर फौजी बताते हैं कि वर्ष 1998 में वे ट्रेन से कहीं जा रहे थे। बोगी में बच्चों और बड़ों का प्यास से बुरा हाल देखा।
उन्होंने पीने को पानी दिया। उसी वक्त उनके दिमाग में आया कि यह समस्या हर जगह है। इसके लिए कुछ करना चाहिए। तभी तय कर लिया कि वह अपने गांव से गुजरने वाले राहगीरों को पानी पिलाएंगे। मई-जून के महीने में गांव के रविभान, धर्मपाल, नंदराम शास्त्री व रघुवीर के साथ मिलकर गांव के बस स्टैंड पर पांच मटके रखे और वाहनों को रुकवा कर जल सेवा आरंभ की। इसके बाद हर साल वह मई-जून में फौज से छुट्टी लेकर आते और राहगीरों को पानी पिलाते।
दो महीने की छुट्टी के दौरान सुबह नौ बजे जल सेवा शुरू करते हैं। दोपहर में एक घंटे के लंच ब्रेक के बाद शाम छह बजे तक फिर पानी पिलाते हैं। यह सिलसिला 2013 में रिटायरमेंट के बाद भी जारी है। केवल एक बार 2001 में वह गांव नहीं आ सके। सेना में एथलेटिक कोच होने की वजह से उनकी ड्यूटी ट्रेनिंग में लग गई। फौज में बाबा नाम से जाने वाले कर्मबीर बताते हैं कि जब उनके सीनियर अधिकारियों को गांव में राहगीर जल सेवा के बारे में बताया गया तो अफसरों ने कभी मई-जून में छुट्टियों से नहीं रोका