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सभी सरकारी स्कीमों में लाभ के लिए जरूरी होगा आधार

adherकेंद्र सरकार यूनिक आइडेंटिटी रेग्युलेशंस (यूआईडी) अधिसूचित करने की तैयारी में है। इस रेग्युलेशन के लागू होने के बाद सभी सरकारी स्कीमों के लिए आधार का इस्तेमाल अनिवार्य हो जाएगा। लेकिन, इस कानून की सबसे अच्छी बात यह है कि विभिन्न स्कीमों को ऑपरेट करने वाली एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी लोगों के पास आधार नंबर हो। यानी अब उन सभी सब्सिडी और स्कीमों का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हो जाएगा, जिसकी फंडिंग केंद्र सरकार करती है। शुरू में सिविल सोसायटी ग्रुपों ने यह आशंका जताई थी कि वैसे असल लाभार्थी सरकारी स्कीमों से वंचित रह सकते हैं, जिनके पास यूआईडी नहीं है। इस आशंका को दूर करने के लिए नए नियम में एक क्लॉज जोड़ गया है। अब एजेंसियों जैसे ऑइल कंपनी या बैंकों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि लोगों के पास आधार नंबर हों। लोगों के पास आधार नंबर हो, यह सुनिश्चित करने के लिए इन एजेंसियों को रजिस्ट्रार से समझौता करने के लिए कहा गया है। ये एजेंसियां खुद से भी आधार के लिए पंजीकरण कर सकती हैं। नया कानून और इसके रेग्युलेशंस से सरकार को अन्य सभी सरकारी स्कीमों जैसे मनरेगा, पेंशन, कूकिंग गैस, पीडीएस, ईपीएफ और जन धन खाते को यूआईडी के दायरे में लाने में मदद मिलेगी,यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया, ‘मंत्रालयों को उन स्कीमों को अधिसूचित करना होगा, जिनके लिए आधार जरूरी है। अगर किसी के पास आधार नहीं होता है, तो उनको इसके लिए पंजीकरण कराने को कहा जाएगा। अगर पंजीकरण सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं है तो एजेंसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को अधर में न छोड़ा जाए।’जहां तक आधार नंबर को लेकर निजी सूचना के दुरुपयोग की आशंका जताई जा रही थी, उसके समाधान के लिए कड़े प्रबंध किए गए हैं। यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि इस अपराध के लिए तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है। ‘निजी सूचना के दुरुपयोग के मामले को हल कर लिया गया है. अगर सरकार या निजी संस्थान आधार नंबर का किसी और मकसद से उपयोग करते हैं या कोई कंपनी डेटा शेयर करती है तो यह दंडनीय अपराध होगा।’

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