गिरिडीह । झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित टुंडी रोड भोरंडीहा के रहने वाले 17 उपन्यासों के रचयिता बसंत शर्मा का निधन सोमवार देर रात हृदय गति रुकने से हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
श्री शर्मा के बचपन के मित्र रहे पूर्व शिक्षक यदुपति महतो ने बताया कि गिरिडीह कोर्ट में जहां वह बेहतरीन मुंशी के रूप में चर्चित थे, वहीं साहित्य के क्षेत्र में भी उनका बड़ा नाम था। उन्होंने अब तक लगभग 300 से अधिक कविताएं, 100 से अधिक कहानियां और 17 उपन्यासों की रचना की। उनकी कहानियां और कविताएं देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही, तो 17 उपन्यासों में तीन उपन्यास ‘नई डिग्रियां’, ‘वर्चस्व’ और ‘मौत की मांद’ प्रकाशित भी हुई, जो चर्चित रही। एक उपन्यास ‘प्रश्नचिन्ह’ जो नक्सल मुद्दे पर आधारित है, प्रकाशन के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन इसे वह प्रकाशित होते नहीं देख सके।
उपन्यासकार बसंत शर्मा द्वारा रचित अन्य उपन्यासों में पलायन (विस्थापन की त्रासदी पर), अति का अंत (आधुनिक राजनैतिक धूर्तता पर), इकाई (विधवा विवाह पर), भय का भूत (नारी जागरण पर), नई पौधे (नारी के सामाजिक क्रांति पर), मधुवा (एक स्वतंत्रता सेनानी की कथा), प्रौढ़ाकर्षण (प्रौढ़ वय के सात्विक प्रेम पर), अंतरधारा (नारी मानसिकता पर), टूटते मिथ (टूटती परंपराओं पर), विकृति (आधुनिकता के दिखावे पर), मौत की मांद (अवैध रूप से कोयला उत्खनन कर जीविकोपार्जन पर), समय का चक्र (ग्राम पंचायत चुनाव पर) और पूर्वा (राजनीति में नारियों के प्रवेश पर) शामिल है।
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