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1934 में बनी रीगल टॉकीज का अब खत्म हो जाएगा सफर

इंदौर। शहर के रीगल टॉकीज में अब सिर्फ कुछ ही दिन शहरवासी फिल्म देख सकेंगे। टॉकीज की बेशकीमती जमीन की लीज 11 सितंबर को खत्म हो रही है। नगर निगम यह जमीन वापस लेकर 10-15 दिनों में इसके नए सिरे से इस्तेमाल की योजना बनाएगा। यह जमीन 40,500 रुपए सालाना की लीज पर दी गई थी।

होलकर शासन ने 1930 में मनोरंजन केंद्र के लिए यह जमीन दी थी जिसके बाद 1934 में यहां रीगल टॉकीज बनकर तैयार हुआ। इससे पहले निगम ने 2008 में टॉकीज की लीज निरस्त कर उस पर कब्जा ले लिया था। बाद में मामला हाई कोर्ट गया और वहां से स्टे मिलने के बाद टॉकीज दोबारा शुरू हो सका था। लीज मामले में लापरवाही बरतने वाले कुछ अफसरों पर तब गाज भी गिरी थी। पिछले साल निगम ने सड़क चौड़ीकरण के लिए टॉकीज की कुछ जमीन ली थी और नई बाउंड्रीवॉल बनवाई थी। निगमायुक्त आशीष सिंह ने बताया कि कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए 10-15 दिन में योजना बनाई जा रही है जिसके क्रियान्वयन के लिए रीगल टॉकीज की जमीन वापस लेना होगी। जमीन का क्या इस्तेमाल होगा, इस बारे में जल्द फैसला लिया जाएगा।

50 लाख रुपए सालाना किराए के प्रस्ताव पर विचार नहीं

निगम ने 2012 और 2013 में ज्योति टॉकीज के संचालक आदर्श यादव के उस प्रस्ताव पर कोई गौर नहीं किया जिसमें 50 लाख रुपए सालाना किराया लेने को कहा था। निगम वहां कोई नया महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट लाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में न तो लीज बढ़ाने का विचार है, न किसी अन्य को जमीन लीज पर देने की योजना है। इस मामले में ज्योति टॉकीज के संचालक का कहना है कि उन्होंने दो बार निगम को ऑफर दिया था लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। अब मंगलवार को जनसुनवाई में फिर वही प्रस्ताव अफसरों को देंगे।

राज परिवार के लिए अलग से होती थी बैठक व्यवस्था

रीगल टॉकीज होलकरकाल के समय से लोकप्रिय है। इसकी बालकनी में राज परिवार के सदस्यों के लिए अलग से बैठक व्यवस्था रहती थी। गुजरे जमाने में बड़ी संख्या संभ्रांत और नामी परिवार सिनेमा देखने आते थे।

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