लखनऊ। जिलाधिकारी कार्यालय में उसे समय हड़कंप मच गया जब अधिवक्ता और प्रशासनिक अधिकारी आपस में भिड़ गए। प्रशासनिक अधिकारियों का आरोप है कि वकीलों ने पहले कार्यालय में आकर हंगामा और मारपीट किया। मारपीट के दौरान वकील कार्यालय की महत्वपूर्ण फाइलें सहित एसीएम-तृतीय का सरकारी फोन भी लूट ले गये।
वहीं वकीलों ने बताया कि एसडीएम सदर के यहां तैनात बाबू ने एक क्लाइंट का कार्य करने के लिए घूस लिया था और कार्य भी नहीं किया। जिसपर वकीलों ने नाराजगी जताई। बवाल बढ़ता देख बाबू ने शोर मचाना शुरू कर दिया कि वकील उसे मार रहे है।
इस पर कलेक्ट्रेट में तैनात वरिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों ने वकीलों को घेर लिया और मारपीट की। अधिवक्ता पक्ष का आरोप है कि पीसीएस अफसरों ने उनसे मोबाइल, नगदी व सोने की चेन लूट लिया।
इस संबंध में पुलिस ने अधिवक्ता अनुपम त्रिवेदी की तहरीर पर लूट का मुकदमा पंजीकृत किया है। साथ ही अपर नगर मजिस्ट्रेट-तृतीय अनिल कुमार मिश्रा ने दो नामजद वकीलों सहित 10-15 अज्ञात वकीलों के खिलाफ मारपीट, सरकारी कार्य में बांधा डालने की तहरीर दी है।
घटना के बाद जिले के सभी पीसीएस अफसर लामबंद हो गए और मुकदमा वापसी तक हड़ताल पर चले गए। रात 10 बजे तक सभी पीसीएस अफसरों ने डीएम सतेंद्र सिंह का आवास घेरे रखा और मुकदमा वापसी करने का दबाव बनाया।
हालांकि डीएम ने उन्हें सुबह तक का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि अगर मुकदमा वापस नहीं लिया गया तो पीसीएस संघ के आह्वान पर पूरे प्रदेश के पीसीएस अफसर हड़ताल पर चले जाएंगे।
घटनाक्रम के अनुसार एसडीएम सदर राजकमल यादव के कक्ष संख्या-3 में वकील अनुपम त्रिवेदी और कुलदीप वर्मा अपने मुवक्किल के कार्य के लिए आए थे। कार्य न होने पर एसडीएम सदर के यहां तैनात क्लर्क अमित सिंह से कहासुनी हो गई। कुछ देर में मारपीट और गाली गलौज में बदल गई। तेज-तेज गालियों की आवास सुनकर एडीएम टीजी अशोक कुमार ने एसीएम-तृतीय को निर्देश दिया कि जाकर देखों वहां क्या हो रहा है।
जब एसीएम-तृतीय अनिल मिश्रा एडीएम सदर के कक्ष के बाहर पहुंचे तो देखा की अमित सिंह और एक दीवान राजेश पाण्डेय को 10-15 वकील मिलकर लात घूंसों से मार रहे थे। कुछ वकील कमरे में तोडफ़ोड़ कर भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे थे। जब इन्होंने उनका विरोध किया तो वह मारपीट पर आमाद हो गए। जब वकील उनकी बातों को नहीं माने तो उन्होंने अपने मोबाइल फोन से वीडियोग्राफी करना शुरू कर दिया।
आरोप है कि वीडियोग्राफी से नाराज वकील अनुपम त्रिवेदी, कुलदीप वर्मा ने एसीएम-तृतीय पर कुर्सी फेंककर वार कर दिया। लेकिन उन्होंने बचाव करते हुए हाथों से रोक लिया। इसी बीच वकीलों ने एक राय होकर एसीएम को पकड़ लिया बारी-बारी एसीएम के सीने, चेहरे, सिर पर मुक्के से वार किया।
इस जानलेवा हमले से कलेक्ट्रेट परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मारपीट शोरगुल सुनकर कर्मचारी विजय वर्मा, मुख्य राजस्व लेखाकार नरेन्द्र सिंह यादव सहित अन्य कर्मचारी मौके पर आ गए। कर्मचारियों की भीड़ बढ़ता देख वकील गाली-गलौज करते हुए मौके से भाग निकले।
वहीं लखनऊ बार एसोसिएशन के पदाधिकारी वकील अनुपम त्रिवेदी ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि शुक्रवार दोपहर करीब 1.15 बजे उन्हें सूचना मिली की उपजिलाधिकारी सदर के कार्यालय के सामने कुछ कर्मचारी मिलकर अधिवक्ता को मार रहे है।
वह मौके पर गए और मारपीट का कारण पूछा तो वहां मौजूद एसीएम-तृतीय, एडीएम वित्त निधि श्रीवासतव व एडीएम पश्चिम जयशंकर दूबे व 10-15 कर्मचारी ने मिलकर लात-घूसों से मारते हुए अपने कमरे में घसीट ले गए। एडीएम निधि श्रीवास्तव ने धमकाते हुए कहा कि तुम्हारे जैसे नेता हमारी जेब में रहते है।
इस बीच वकील अनुपम की जेब से महत्वपूर्ण कागज, तीन सौ रुपये व मोबाइल फोन एसीएम तृतीय ने छीन लिया तथा जयशंकर दुबे ने पुलिस से डण्डा छीनकर उन्हें काफी मारापीटा। जिसपर कैसरबाग पुलिस ने पीड़ित वकील की तहरीर पर लूट का मुकदमा पंजीकृत किया है। इसी बीच घटना की सूचना पुलिस को दी गई। मजिस्ट्रेट और वकीलों में मारपीट की घटना आग की तरफ राजधानी में फैल गई।
सूचना के एक घंटे बाद पुलिस और पीएसी मौके पर पहुंच गई। जहां पीसीएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पुलिस को चेतवानी देते हुए कहाकि अगर वकीलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो कार्य बहिष्कार करेंगे।
इस बीच लखनऊ बार एसोसिएशन के पदाधिकारी अनुपम त्रिवेदी के समर्थन में सैकड़ों की संख्या में वकील कैसरबाग कोतवाली पहुंच गये और एसडीएम और एसीएम-3 के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग करने लगे। दबाव बढ़ता देख पुलिस ने वकील अनुराग तिवारी का मेडिकल परीक्षण कराकर एसडीएम और एसीएम के खिलाफ लूट का मुकदमा दर्जकर कर लिया।
देर शाम एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी पीसीएस अधिकारियों को समझाने में लगी रही। जबकि वकील पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर चलते बने।