69000 शिक्षक भर्ती विवाद एक बार फिर चर्चा में है। भर्ती प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है, लेकिन अब वास्तविक अभ्यर्थियों ने भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों पर भी सख्त कदम उठाने की मांग की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब दोषी उम्मीदवारों पर कार्रवाई हो रही है तो इस पूरी प्रक्रिया को गलत दिशा में मोड़ने वाले अफसरों को क्यों छोड़ा जा रहा है।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने खुलकर कहा कि गलत तरीके से नौकरी पाने वालों की संख्या बड़ी है और विभाग के कुछ अधिकारी अब भी उनका बचाव कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है और सरकार को चाहिए कि इन अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठाकर उन्हें भी दंडित करे।
पटेल ने कहा कि वर्ष 2019 में आयोजित 69000 शिक्षक भर्ती में योग्यता और नियमों की अनदेखी करते हुए कई उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया गया। अब जबकि जाँच में गड़बड़ी सामने आ रही है और दोषी उम्मीदवारों को बर्खास्त किया जा रहा है, ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होना गंभीर सवाल खड़े करता है।
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प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई रिपोर्टों के अनुसार अब तक कई फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हो चुका है और संबंधित उम्मीदवारों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया है कि कुछ जिलों में ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश हो रही है। इस पर वे अब धरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बना रहे हैं।
वहीं, शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि जांच जारी है और हर स्तर पर पारदर्शिता बरती जा रही है। लेकिन अभ्यर्थियों का विश्वास तभी बहाल होगा जब सभी दोषियों पर समान रूप से कार्रवाई होगी — चाहे वे अफसर हों या उम्मीदवार।
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