नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जोधपुर में चल रहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति‘ में हिस्सा लेने आये विदेशी मित्र देशों से भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को ठीक से देखने और अध्ययन करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि भारत दौरे पर आईं वायु सेनाओं को भारतीय रक्षा विनिर्माण उद्योगों का प्रत्यक्ष अनुभव हासिल करना चाहिए। कुछ समय पहले तक भारत को हथियार और उपकरण के मामले में सिर्फ आयातक देश के रूप में देखा जाता था लेकिन आज भारत लगभग 90 देशों को हथियार और उपकरण निर्यात करता है।
अभ्यास तरंग शक्ति के दौरान भारतीय वायु सेना ने जोधपुर में भारतीय रक्षा विमानन प्रदर्शनी लगाई है, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को किया। अभ्यास के दूसरे चरण में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बांग्लादेश, सिंगापुर, यूएई की वायु सेनाएं लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, विशेष ऑपरेशन विमान, मध्य हवा में ईंधन भरने वाले और हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (अवाक्स) सहित 70-80 विमानों के साथ हिस्सा लेने आईं हैं। इस अभ्यास में अमेरिका अपने एफ-16 और ए-10 विमानों के साथ भाग ले रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो हमारी वायु सेना और हमारे रक्षा क्षेत्र के विकास की स्वर्णिम कहानी कहते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय वायु सेना अपनी स्थापना के समय से ही अपनी शक्ति और शौर्य के लिए जानी जाती रही है। देश को जब-जब भी जरूरत पड़ी, वायु सेना ने डटकर उस परिस्थिति का सामना किया और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्र का गौरव बढ़ाया। लगभग 60 साल बाद भारत के आकाश में इतना बड़ा सामरिक अभ्यास आयोजित किया गया है। जब इतने बड़े स्तर पर कोई भी अभ्यास होता है, तो इसमें भाग लेने वाले देश एक-दूसरे से काफी कुछ सीखते हैं। साथ ही अलग-अलग कार्य संस्कृति, अलग-अलग हवाई युद्ध का अनुभव और युद्ध लड़ने के सिद्धांत समझने का मौका मिलता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बदलती तकनीक तेजी से युद्ध का परिदृश्य भी बदल रही है और ‘तरंगशक्ति’ के माध्यम से आप सभी इस दिशा में मजबूत पंखों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे तेजी से बदल रहे परिदृश्य के साथ आगे बढ़ना आज की जरूरत है। हमारे भारत को आजाद हुए 75 वर्ष से अधिक हो गए हैं। इस ऐतिहासिक घटना पर भारतीय वायु सेना की अब तक की भव्य उपलब्धियां पर जश्न मनाने का अवसर है। दूसरी ओर यह मौका हमारी वायु सेना की अब तक की यात्रा को भी याद करने का अवसर देता है। आज हम न केवल दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था हैं, बल्कि हमारे सशस्त्र बल दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक माने जाते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 1947 में बंटवारे के बाद भारतीय वायु सेना के पास सिर्फ दो प्रकार के विमानों की महज 6 स्क्वाड्रन थी। इसी प्रकार युद्ध के बाकी साजो-सामान भी बड़े पुराने और गिनी-चुनी मात्रा में थे लेकिन आज दुनिया भर के श्रेष्ठ और आधुनिक विमान नई पीढ़ी के हथियारों के साथ वायु सेना ने अपने आप को ट्रांसफॉर्म किया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी वायु सेना और हमारा रक्षा सेक्टर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के नए संकल्प के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमारा रक्षा क्षेत्र हथियार, प्लेटफॉर्म, विमान के निर्माण में स्वदेशीकरण की ओर मजबूत कदम बढ़ा चुका है। आज लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, राडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में हम बहुत हद तक आत्मनिर्भर हो चुके हैं और इन क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं।
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