लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के प्रयासों से पराली अब ऊर्जा और उर्वरक का महत्वपूर्ण स्रोत बन रही है। सीबीजी (कम्प्रेस्ड बायो गैस) प्लांट्स के माध्यम से किसान न केवल अन्नदाता बन रहे हैं, बल्कि ऊर्जादाता भी बन रहे हैं। यह पहल “आम के आम और गुठलियों के भी दाम” कहावत को साकार कर रही है।
पराली का नया उपयोग
पराली, जो पहले प्रदूषण का कारण मानी जाती थी, अब किसानों की आमदनी का जरिया बन गई है। सीबीजी प्लांट्स में पराली से ईंधन और बेहतरीन कंपोस्ट खाद का उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों को आर्थिक लाभ हो रहा है और पर्यावरण को भी संरक्षण मिल रहा है।
सीबीजी उत्पादन में यूपी की स्थिति
उत्तर प्रदेश अब सीबीजी उत्पादन में देश में शीर्ष पर है। वर्तमान में 24 सीबीजी इकाइयां क्रियाशील हैं, जबकि 93 इकाइयां निर्माणाधीन हैं। मार्च 2024 तक इनकी संख्या बढ़कर 100 होने की संभावना है।
समस्या का समाधान
खेतों में पराली जलाने की प्रथा से निपटने के लिए योगी सरकार ने जैव ऊर्जा नीति 2022 का कार्यान्वयन किया है। इस नीति के तहत कृषि अपशिष्ट से बायो सीएनजी और सीबीजी इकाइयों को विभिन्न प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
गोरखपुर का सीबीजी प्लांट
गोरखपुर के धुरियापार में स्थापित इंडियन ऑयल का सीबीजी प्लांट 165 करोड़ रुपये की लागत से बना है। यह प्लांट रोजाना 200 मीट्रिक टन पराली का उपयोग करने की क्षमता रखता है, जिससे प्रतिदिन 20 मीट्रिक टन बायोगैस और 125 मीट्रिक टन जैविक खाद का उत्पादन होगा। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
भविष्य की योजनाएं
योगी सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में बायोकोल और बायोडीजल का उत्पादन दोगुना हो जाए। इसके लिए 26 नई परियोजनाओं में से 21 को मंजूरी मिल चुकी है, और 2025 तक 20 परियोजनाओं का संचालन शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार, योगी सरकार की पहल से पराली का उपयोग न केवल किसानों की आमदनी बढ़ा रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।