उत्तर प्रदेश के कार्मिक विभाग ने जांच प्रक्रिया में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब विभागीय कार्रवाई केवल फाइलों में कैद नहीं रहेगी। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच के नाम पर कर्मियों का उत्पीड़न नहीं होगा, और दोषियों को सजा मिलेगी जबकि निर्दोषों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिशें विफल होंगी।
कार्मिक विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों से निर्धारित प्रारूप में पूरी रिपोर्ट मांगने की योजना बनाई है। इस नई नीति के तहत, जांच पूरी होने के बाद बहाल होने वाले कर्मियों से कार्य लिया जाएगा, जिससे कार्यक्षमता में भी सुधार हो सके।
इस पहल के तहत, कर्मचारियों की आचरण नियमावली का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। विभाग का मानना है कि समय पर जांच पूरी की जानी चाहिए और दोषियों को उचित सजा मिलनी चाहिए, जबकि निर्दोष कर्मियों को राहत प्रदान की जानी चाहिए।
कार्मिक विभाग ने इस दिशा में सभी विभागों से लंबित मामलों की रिपोर्ट मांगने का फैसला किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं भी प्रक्रियात्मक खामियां न हों और सभी कर्मियों के अधिकारों की रक्षा हो सके।
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