नेपाल से बॉर्डर पार कर बहराइच के नानपारा पहुंची 4160 किलो चाइनीज आम की खेप पुलिस ने पकड़ी। क्या सीमा सुरक्षा एजेंसियां सचमुच सतर्क हैं, या तस्करी के खेल में चूक हो रही है?
बहराइच (नानपारा ) । क्या हमारे बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बल सचमुच सतर्क हैं? रविवार सुबह बहराइच के नानपारा में हुई एक घटना ने यही सवाल खड़ा कर दिया है। नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुए 4160 किलो चाइनीज आम की खेप को पुलिस ने जब्त किया। कोतवाली नानपारा पुलिस ने चालक सिराज अहमद को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू कर दी है। परन्तु सवाल यह है कि इतनी भारी मात्रा में चाइनीज आम का यह माल सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से कैसे बच गया?
कैसे पार हुई सीमा?
बॉर्डर पर कस्टम, एसएसबी और पुलिस के जवानों की चौकसी के बावजूद, नेपाल के रूपईडीहा से 260 पेटियों में भरी यह चाइनीज आम की खेप बिना किसी रोक-टोक के नानपारा तक पहुंची। क्या बॉर्डर सुरक्षा में कोई चूक हुई है, या तस्करों ने कोई नया रास्ता अपना लिया है? पुलिस ने बताया कि इस खेप में 260 पेटी आम था, जिसे डीसीएम वाहन में लाया गया था।
सुरक्षा पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
इस घटना ने बॉर्डर सुरक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर आम जैसी भारी मात्रा वाली खेप इतनी आसानी से सीमा पार कर सकती है, तो क्या इससे अधिक संवेदनशील सामान की तस्करी का खतरा नहीं बढ़ता? इस मामले में एसएसबी, पुलिस और कस्टम के बीच तालमेल की कमी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
आखिर कौन है जिम्मेदार?
आम जनता का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से यह सवाल उठता है कि बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में कमी आई है। आखिर, ऐसी घटनाओं के पीछे असली दोषी कौन है और क्या इन पर सख्त कार्रवाई होगी? कोतवाल प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
क्या कार्रवाई की जाएगी?
प्रशासन ने तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए क्या योजनाएं बनाई हैं? क्या सीमा पर सुरक्षा बलों की निगरानी को और अधिक कठोर बनाने की आवश्यकता है?
“तस्करी का यह मामला बेहद गंभीर है और सीमा सुरक्षा पर सवाल उठाता है। जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” –
प्रदीप कुमार सिंह, कोतवाल नानपारा
प्रमुख सवाल:
क्या सीमा सुरक्षा बलों की निगरानी में कोई कमी आ गई है?
चाइनीज उत्पादों की तस्करी को रोकने के लिए क्या विशेष उपाय किए जा सकते हैं?
क्या बॉर्डर पर आधुनिक सुरक्षा उपकरणों का अभाव इस तस्करी का कारण है?