“सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट संपत्तियों पर अहम फैसला देते हुए कहा कि सरकार निजी संपत्तियों का अधिग्रहण तभी कर सकती है, जब सार्वजनिक हित जुड़ा हो। अदालत ने 1978 के हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए इस बात पर जोर दिया कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है।“
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति के अधिग्रहण को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो निजी संपत्ति अधिकारों के मामले में बहुत महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें केवल सार्वजनिक हित के लिए ही निजी संपत्तियों का अधिग्रहण कर सकती हैं। अदालत ने 1978 के हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि “सामुदायिक हित” के नाम पर निजी संपत्ति का अधिग्रहण संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह निर्णय उस मामले में आया है, जिसमें एक प्राइवेट संपत्ति को सामुदायिक लाभ के नाम पर अधिग्रहण करने की कोशिश की गई थी। अदालत ने फैसला सुनाया कि संपत्ति का अधिकार संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण अधिकार है और इसे बिना पर्याप्त कारण के नहीं छीना जा सकता।
अदालत ने यह भी कहा कि अगर सरकार किसी निजी संपत्ति को अधिग्रहित करना चाहती है, तो उसे यह साबित करना होगा कि यह अधिग्रहण व्यापक सार्वजनिक हित में है।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
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