“डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच गहरे संबंधों का भारत-अमेरिका व्यापार, रक्षा और इमिग्रेशन पर बड़ा असर। जानें H1-B वीजा, क्वाड सहयोग और चीन पर इनकी नीतियों का प्रभाव।”
लेख -मनोज शुक्ल
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी: घनिष्ठ संबंध और राष्ट्रवादी विचारधारा
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गहरा तालमेल हमेशा से चर्चा में रहा है। दोनों नेताओं ने अपने राष्ट्रवादी विचारों—’इंडिया फर्स्ट’ और ‘अमेरिका फर्स्ट’—से घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और सीमाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है। इनकी साझेदारी पहली बार “हाउडी मोदी” और “नमस्ते ट्रंप” जैसे ऐतिहासिक आयोजनों में सामने आई, जो भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को मजबूत करने का संकेत देते हैं।
व्यापार संबंध और टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने व्यापार बाधाओं को कम करने पर भारत पर दबाव डाला है। उन्होंने भारत को ‘एब्यूजर’ भी कहा, जिससे टैरिफ कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। हालांकि, ट्रंप प्रशासन के तहत चीन पर निर्भरता कम करने के प्रयासों से भारत को सप्लाई चेन में अवसर मिल सकते हैं।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ा है, जिसमें क्वाड देशों के साथ साझेदारी भी शामिल है। चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ट्रंप प्रशासन ने इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की है।
H1-B वीजा और इमिग्रेशन पॉलिसी
ट्रंप की कठोर इमिग्रेशन नीतियां भारतीय प्रोफेशनल्स पर असर डालती हैं। यदि वे राष्ट्रपति बनते हैं तो H1-B वीजा में फिर से प्रतिबंध बढ़ सकते हैं, जिससे भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना कठिन हो सकता है।
भविष्य की रणनीतिक दिशा
ट्रंप ने दिवाली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मित्र बताया था और भारत के साथ संबंधों को और मजबूती देने का वादा किया था। इस दिशा में, ट्रंप प्रशासन की संभावित वापसी से भारत को कई रणनीतिक लाभ मिल सकते हैं, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में।
ट्रंप-मोदी संबंध का असर
ट्रंप की नीतियां भारत-अमेरिका के संबंधों को गहराई में प्रभावित करती हैं, खासकर व्यापार, रक्षा और इमिग्रेशन के क्षेत्रों में। ट्रंप के पहले कार्यकाल में क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति को बढ़ावा मिला, और ट्रंप-मोदी की संयुक्त रैलियों ने संबंधों में नई ऊंचाईयां दीं। व्यापार के मोर्चे पर भी, अगर ट्रंप सत्ता में लौटते हैं तो भारत को नए अवसर मिल सकते हैं।
आगे की संभावनाएं
2024 में ट्रंप की संभावित वापसी भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत कर सकती है। भारतीय IT सेक्टर, फार्मास्यूटिकल्स, और टेक्सटाइल्स के लिए अमेरिका में अधिक संभावनाएं होंगी, हालांकि, भारत को टैरिफ में सुधार करना होगा
विश्ववार्ता परिवार की तरफ से आप सभी को “छठ पूजा” की हार्दिक शुभकामनाएँ”
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