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राज्य के विकास और गरीबी में गहरा विरोधाभास

गोलमाल: “हरियाणा में समृद्धि और गरीबी का विचित्र संयोजन: 70% लोग BPL में,प्रति व्यक्ति आय ₹2,96,685”

हरियाणा। हरियाणा, , जो कर्नाटक के बाद देश का दूसरा सबसे समृद्ध राज्य है, जहां प्रति व्यक्ति आय ₹2,96,685 तक पहुंच चुकी है, वहीं एक चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। राज्य की कुल आबादी 2.8 करोड़ में से 70% लोग गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन कर रहे हैं। दिसंबर 2022 तक, 1.24 करोड़ लोग BPL श्रेणी में थे, जो कुल आबादी का 44% था। लेकिन महज 2 साल के भीतर यह आंकड़ा बढ़कर 70% यानी 1.98 करोड़ तक पहुंच गया।

यह स्थिति राज्य के विकास और गरीबी में गहरा विरोधाभास पैदा कर रही है। प्रदेश सरकार का कहना है कि इसके पीछे सेल्फ डिक्लेरेशन नियम का हाथ है, जिसके तहत लोगों ने अपनी सालाना आय ₹1,80,000 से कम दिखाई। सरकार का दावा है कि इन आंकड़ों की जांच की जाएगी, और जो लोग गलत जानकारी देने के दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे मामले ने विकास और गरीबी के बीच के अंतर को उजागर किया है। हरियाणा के विकास के आंकड़े भले ही अच्छे हों, लेकिन जब एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा हो, तो यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है।

हरियाणा का मामला साफ दिखाता है कि समृद्धि और गरीबी दोनों एक साथ रह सकते हैं, और यह राज्य विकास के आंकड़ों और वास्तविक स्थिति के बीच के अंतर को उजागर करता है। प्रदेश सरकार को अब इन आंकड़ों की जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सही आंकड़े हैं।

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