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भारत सामाजिक पूंजी से समृद्ध राष्ट्र - प्रो. मनोज कुमार अग्रवाल
भारत की आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेशन

भारत की आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेशन

हरदोई: शुक्रवार को नगर के सी.एस.एन महाविद्यालय में युवा महोत्सव के 7वें दिन “बदलता वैश्विक आर्थिक परिदृश्य” विषयक एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष और प्रसिद्ध आचार्य प्रो. मनोज कुमार अग्रवाल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।


प्रो. अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में कहा कि “भारत सामाजिक पूंजी से समृद्ध राष्ट्र है”। उन्होंने पश्चिमी देशों की तुलना करते हुए बताया कि जहां पश्चिमी देश केवल आर्थिक पूंजी को महत्व देते हैं, वहीं भारत सामाजिक पूंजी पर जोर देता है। भारत का यह मॉडल उसकी पारंपरिक संस्कृति और सामाजिक ढांचे से जुड़ा हुआ है, जो आर्थिक समावेशन, सामाजिक समानता और पोषणीय विकास को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अमेरिका और चीन जैसे देशों के विकास मॉडल निरंतर असफल हो रहे हैं। वहीं, भारत का समावेशी आर्थिक मॉडल दुनिया के सामने एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत हो रहा है, जिसमें सामाजिक समरसता, समानता और हर क्षेत्र में लोगों को लाभ पहुंचाने की दिशा पर जोर दिया जा रहा है।


प्रो. अग्रवाल ने यह भी बताया कि आज भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और इसके साथ ही वह वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है) की नीतियों को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने यह रेखांकित किया कि भारत का विकास न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समावेशी विकास, सामाजिक समानता और हर व्यक्ति तक विकास के लाभ पहुंचाने की दिशा में भी काम कर रहा है।


इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. के.के. सिंह ने की। अतिथि स्वागत डॉ. सचिन सिंह ने किया और संचालन का कार्य स्मृता मिश्रा ने किया। आभार ज्ञापन डॉ. शिवेंद्र सिंह ने किया।

इस अवसर पर कई प्रमुख शख्सियतें उपस्थित रहीं, जिनमें संघ के विभाग संघ संचालक शिव स्वरूप, प्रो. अखिलेश बाजपेई, प्रो. नरेश चंद शुक्ला, प्रो. पुष्पा रानी गंगवार, प्रो. एसके सिंह, डॉ. गोविंद सिंह, डॉ. अमित कुमार, जपनीत सिंह, श्वेता दुबे, डॉ. अजीत त्रिपाठी, डॉ. नमिता त्रिपाठी और डॉ. अभिषेक सेंगर शामिल थे। इसके अलावा महाविद्यालय के छात्रों और छात्राओं की बड़ी संख्या भी कार्यक्रम में उपस्थित रही।


कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने प्रो. मनोज कुमार अग्रवाल के विचारों का गहरे ध्यान से पालन किया और उनके शब्दों को आत्मसात किया। इस प्रकार का कार्यक्रम छात्रों के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आया, जो उन्हें न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी विकसित कर सकता है।

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