“उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी। घाटे में चल रही कंपनियों को उबारने के लिए 50-50 का फार्मूला। 46,000 करोड़ रुपये की सरकारी मदद पर चर्चा।”
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए निजीकरण की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। करोड़ों के घाटे में चल रही बिजली कंपनियों को उबारने के लिए निजी कंपनियों के साथ 50-50 के फार्मूले पर सहमति बनी है।
इस फैसले पर हाल ही में पावर कॉरपोरेशन की वित्तीय बैठक में चर्चा हुई, जिसमें कंपनियों के घाटे को कम करने और उनके पुनर्गठन का खाका खींचा गया। बैठक में पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन और एमडी ने निजीकरण के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की।
नई व्यवस्था का स्वरूप
नई व्यवस्था के तहत बिजली कंपनियों के शीर्ष पदों पर प्रशासनिक अधिकारी तैनात किए जाएंगे। एक आईएएस अधिकारी को चेयरमैन बनाया जाएगा, जो संचालन और निगरानी का कार्य करेंगे।
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सरकार इन कंपनियों को पुनर्जीवित करने के लिए करीब 46,000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता भी देगी। हालांकि, इस निजीकरण प्रक्रिया में कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखने पर विशेष जोर दिया गया है।
पृष्ठभूमि और उद्देश्य
उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां लंबे समय से भारी घाटे का सामना कर रही हैं। इस निजीकरण का उद्देश्य वित्तीय घाटे को कम करना, उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा देना और व्यवस्था को अधिक कुशल बनाना है।
सरकार का कहना है कि यह कदम न केवल बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाएगा, बल्कि निजी कंपनियों की दक्षता का लाभ भी राज्य को मिलेगा।