“कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संसद में सरकार पर आरोप लगाया कि उसमें नया अहंकार दिखाई दे रहा है। उन्होंने अडानी, मणिपुर और संभल जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से चर्चा की तारीख और विषय स्पष्ट करने की मांग की। जानिए पूरी खबर।”
गौरव गोगोई का सरकार पर आरोप: नया अहंकार और पारदर्शिता की कमी
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सांसद गौरव गोगोई ने संसद में सरकार के रवैये पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सरकार में नया अहंकार दिखाई दे रहा है। गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार ने न तो किसी विषय पर चर्चा की तारीख तय की है, और न ही कोई स्पष्टता दी है कि वह कौन से मुद्दे संसद में उठाना चाहती है। उनका कहना था कि इस तरह की स्थिति लोकतंत्र में किसी भी सरकार के लिए ठीक नहीं है, और इसे एक ‘अहंकार’ की स्थिति के रूप में देखा जाना चाहिए।
अडानी, मणिपुर, संभल और विदेश नीति पर सवाल
गोगोई ने संसद में अडानी, मणिपुर, संभल, चीन और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख किया। उन्होंने पूछा, “क्या सरकार इन मुद्दों पर चर्चा करने का इरादा रखती है?” गोगोई ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसद इन मुद्दों पर खुली और पारदर्शी चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई ठोस बयान या जवाब नहीं आया है।
सरकार की पारदर्शिता पर सवाल
गोगोई का कहना था कि यह स्थिति सरकार के अहंकार को दर्शाती है, जहां वह संसद की कार्यवाही में पारदर्शिता से बच रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के इस रवैये के कारण कई मुद्दों पर विपक्षी दलों में निराशा और असंतोष बढ़ रहा है। यह विपक्ष के लिए एक संकेत है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो रही है, खासकर जब देश के सामने कई संवेदनशील और गंभीर मुद्दे हैं।
विपक्षी दलों की बढ़ती मांग: चर्चा की आवश्यकता
यह बयान ऐसे समय में आया है जब विपक्षी दलों ने अडानी समूह से जुड़े विवाद, मणिपुर हिंसा और संभल के सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब तलब किया है। गोगोई ने कहा कि संसद में इन मुद्दों पर चर्चा की आवश्यकता है, ताकि सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट कर सके और देश के सामने अपने दृष्टिकोण को सामने रख सके।
निष्कर्ष: सरकार को पारदर्शिता के साथ जवाब देना होगा
गोगोई ने यह स्पष्ट किया कि संसद में होने वाली कार्यवाही को पारदर्शी और खुले रूप से चलाना चाहिए, और यदि सरकार इन संवेदनशील मुद्दों पर चुप रहती है तो यह जनता के विश्वास को कमजोर कर सकता है। उनका कहना था कि सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टता देनी चाहिए और संसद में होने वाली चर्चा का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
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