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उत्तर प्रदेश पूर्व विधायक बैठक

पूर्व विधायक जल्द मिलेंगे मुख्यमंत्री से, उठाएंगे समस्याएं और मांगें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायकों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेगा और अपनी समस्याओं व मांगों को उनके सामने रखेगा। यह निर्णय गुरुवार को उत्तर प्रदेश संसदीय संस्थान की बैठक में लिया गया, जो विधान भवन के द्वितीय तल स्थित कमेटी कक्ष में संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री डॉ. अम्मार रिजवी ने की। बैठक में संस्थान के सचिव एवं पूर्व एमएलसी हरीश वाजपेयी सहित बड़ी संख्या में पूर्व विधायक और पूर्व एमएलसी मौजूद थे।

बैठक के दौरान डॉ. अम्मार रिजवी ने कहा कि पूर्व विधायकों की प्रदेश के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, उन्हें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आग्रह किया कि पूर्व विधायक न केवल अपनी समस्याओं बल्कि जनता के मुद्दों को भी सक्रियता से उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व विधायकों के अनुभवों का सदुपयोग प्रशासन और सरकार को करना चाहिए।

  1. कार्यालय भवन: संसदीय संस्थान के संचालन के लिए लखनऊ में कार्यालय भवन उपलब्ध कराया जाए।
  2. अनुदान: संस्थान के समुचित संचालन के लिए पांच लाख रुपये वार्षिक अनुदान दिया जाए।
  3. पेंशन और यात्रा भत्ता: पूर्व विधायकों की मासिक पेंशन और यात्रा भत्ता में वृद्धि की जाए।
  4. फ्री इलाज: एसपीजीआई, लोहिया संस्थान, केजीएमयू और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नि:शुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जाए।
  5. टोल टैक्स छूट: पूर्व विधायकों के वाहनों से टोल टैक्स की वसूली समाप्त की जाए।

इसके अलावा, मांग की गई कि पूर्व विधायकों को राष्ट्रीय पर्वों पर आयोजित कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाए और उन्हें जिला विकास योजना बैठकों में भागीदारी दी जाए। साथ ही, मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए सप्ताह में एक दिन का समय निर्धारित करने और मुख्यमंत्री कार्यालय में एक विशेष कार्याधिकारी की तैनाती की भी मांग उठाई गई।

संसदीय संस्थान के सचिव हरीश वाजपेयी ने कहा कि पूर्व विधायक जनसेवा में आज भी सक्रिय हैं, लेकिन प्रशासनिक सहयोग के अभाव में उन्हें कई दिक्कतें होती हैं। संस्थान का उद्देश्य है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पूर्व जनप्रतिनिधियों की भूमिका को मजबूती मिले।

यह बैठक पूर्व विधायकों के अधिकारों और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखी जा रही है। अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

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