लखनऊ। आर्थिक तंगी से जूझ रहे लखनऊ नगर निगम ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
नगर निगम प्रशासन ने केतकी मेले के ठेके को लेकर ऐसा फैसला लिया, जिससे निगम को करीब 1 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
नियमों में किया बदलाव, फिर भी ठेका प्रक्रिया में रहीं गड़बड़ियां
नगर निगम ने अपने चहेते ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए नियम और शर्तों में बदलाव किया। इसके चलते निविदा प्रक्रिया दो बार रद्द करनी पड़ी। तीसरी बार जब निविदा की प्रक्रिया शुरू हुई, तब भी दो संस्थाओं के बीच तकनीकी उलझनों के कारण यह मामला और पेचीदा हो गया।
देर से मेला लगाने से बढ़ी नाराजगी
मेले की प्रक्रिया में देरी के चलते भाजपा पार्षद रणजीत सिंह ने नाराजगी जताई और आंदोलन की चेतावनी दी। उनका कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि जनता के विश्वास पर चोट है।
सवालों के घेरे में नगर निगम
सवाल उठ रहे हैं कि आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होने के बावजूद, नगर निगम ने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को क्यों बदला? इसके अलावा, देरी और घाटे से जनता की सुविधाओं पर पड़ने वाले असर को लेकर भी चर्चा हो रही है।
आंदोलन की चेतावनी
पार्षद रणजीत सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में पारदर्शिता नहीं लाई गई और नुकसान की भरपाई के लिए कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करेंगे।
लखनऊ नगर निगम की यह कार्यप्रणाली शासन के “जीरो टॉलरेंस नीति” के विपरीत मानी जा रही है। अब देखना होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाएगा।
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