लखनऊ में बिजली की समस्याओं से अब निजात मिलेगा। राजधानी में बिजली आपूर्ति को बेहतर और टिकाऊ बनाने के लिए, 33 और 11 केवी की ओवरहेड बिजली लाइनों को भूमिगत किया जाएगा। यह निर्णय देश के रक्षामंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने लिया है।
रक्षामंत्री ने रविवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के नवनियुक्त निदेशक (तकनीकी) हरीश बंसल और लखनऊ सेंट्रल जोन के मुख्य अभियंता रवि कुमार अग्रवाल के साथ बैठक की। बैठक में, बिजली की बढ़ती मांग, पोलों पर लटकते तारों के मकड़जाल और ओवरहेड लाइनों की समस्याओं पर चर्चा की गई।
रक्षामंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि भूमिगत लाइनों से क्या आंधी-तूफान के दौरान बिजली आपूर्ति में कोई विघ्न आएगा। अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि भूमिगत नेटवर्क के चलते, ऐसी परिस्थितियों में भी बिजली की समस्याओं से निपटा जा सकेगा।
परियोजना का विवरण
इस परियोजना का कुल बजट करीब 3000 करोड़ रुपये है। इसके तहत, 33 और 11 केवी की ओवरहेड लाइनों को भूमिगत किया जाएगा। इसके अलावा, नए उपकेंद्रों के निर्माण की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि बिजली की आपूर्ति को और अधिक मजबूत किया जा सके।
आंधी से प्रभावित क्षेत्र
वर्तमान में, लखनऊ के गोमतीनगर, चिनहट, सीतापुर रोड, हरदोई रोड, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, निगोहा, अमेठी, और दुबग्गा जैसे क्षेत्रों में आंधी के दौरान ओवरहेड लाइनों और खंभों का टूटना आम बात है। इससे बिजली की समस्याओं में वृद्धि होती है और बिजली आपूर्ति में कई घंटे तक बाधा उत्पन्न होती है।
गैस आधारित उपकेंद्र
मुख्य अभियंता रवि कुमार अग्रवाल ने बताया कि नए 33/11 केवी उपकेंद्रों के निर्माण में भूमि की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन, अब 1200 वर्गफीट में गैस आधारित उपकेंद्रों के निर्माण पर काम किया जा रहा है। इस प्रकार के उपकेंद्रों की लागत करीब 12 से 15 करोड़ रुपये होती है।
निर्णय और आश्वासन
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस परियोजना के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से धनराशि की स्वीकृति दिलवाने का आश्वासन दिया। इस परियोजना से लखनऊ की बिजली आपूर्ति को और मजबूत किया जाएगा, और आंधी-तूफान के दौरान भी शहर की बिजली बंद नहीं होगी।