इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार, 5 मई को राहुल गांधी नागरिकता मामला संबंधी याचिका को रिपोर्ट के अभाव में खारिज कर दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि केवल रिपोर्ट के इंतजार में याचिका को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रखा जा सकता।
दरअसल, याचिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया था। याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि राहुल ने ब्रिटेन की एक कंपनी में डायरेक्टर रहते हुए खुद को वहां का नागरिक घोषित किया था। उन्होंने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग की थी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिन के भीतर स्पष्ट रिपोर्ट मांगी थी कि राहुल गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडेय ने गृह मंत्रालय की ओर से स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे “अपर्याप्त” करार देते हुए सख्त टिप्पणी की थी कि यह राष्ट्रीय महत्व का मामला है, और इसमें देरी स्वीकार्य नहीं।
सरकार ने बताया कि इस विषय पर यूके सरकार से जानकारी मांगी गई है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। कोर्ट ने साफ कहा कि जब भी रिपोर्ट केंद्र को प्राप्त हो, याचिकाकर्ता को उसकी प्रति दी जाए और उसे कोर्ट में भी पेश किया जाए।
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कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई को बंद करते हुए यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता चाहे तो किसी अन्य उपयुक्त फोरम या अदालत में इस विषय को फिर से उठा सकता है।
केंद्र सरकार की दलीलें:
- मामला दो देशों के बीच संवेदनशील जानकारी से जुड़ा है।
- कई रिमाइंडर के बावजूद ब्रिटेन सरकार से जवाब नहीं आया।
- रिपोर्ट के बिना अदालत को ठोस जानकारी नहीं दी जा सकती।
याचिकाकर्ता के आरोप:
- राहुल गांधी ने ब्रिटेन की कंपनी “BackOps Limited” में खुद को डायरेक्टर के रूप में ब्रिटिश नागरिक बताया था।
- यह जानकारी चुनाव आयोग को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि दोहरी नागरिकता रखने वाला व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होता।
अब इस केस की सुनवाई समाप्त हो गई है, लेकिन अगर केंद्र सरकार को भविष्य में कोई जवाब प्राप्त होता है, तो यह मामला फिर से किसी भी मंच पर उठाया जा सकता है।
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