उत्तर प्रदेश में कछुआ संरक्षण उत्तर प्रदेश की दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने जो अभूतपूर्व पहल की है, वह न केवल जैव विविधता के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में राज्य की भूमिका को भी मजबूत करती है। 23 मई को मनाए जाने वाले विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर यह समझना जरूरी है कि भारत में पाई जाने वाली 30 प्रजातियों में से 15 अकेले उत्तर प्रदेश में मिलती हैं।
इनके संरक्षण के लिए राज्य में तीन प्रमुख कछुआ संरक्षण केंद्र – लखनऊ का कुकरैल, वाराणसी का सारनाथ और चंबल क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रयागराज के पास 30 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला कछुआ अभयारण्य 2020 में स्थापित किया गया था। इन केंद्रों के माध्यम से न केवल स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण हो रहा है, बल्कि अन्य राज्यों से अवैध रूप से पकड़े गए कछुओं को भी यहां लाकर पुनर्वासित किया जा रहा है।

👉 Read it also : ‘गर्म सिंदूर बह रहा है मेरी नसों में’: बीकानेर से PM मोदी का पाकिस्तान को सख़्त संदेश
कछुए न केवल जल स्रोतों की स्वच्छता में योगदान करते हैं, बल्कि पारंपरिक रूप से भी भारतीय संस्कृति में पूजनीय हैं। कच्छप अवतार इसका धार्मिक उदाहरण है। जल की कटहवा, मोरपंखी, साल और सुंदरी जैसी प्रजातियां पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। योगी सरकार के अंतर्गत वन विभाग ने नदियों, झीलों और तालाबों के प्रदूषण को रोकने के लिए इनकी संख्या बढ़ाने और उनके आवासों को संरक्षित करने की दिशा में प्रभावशाली प्रयास किए हैं।
उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग द्वारा अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए भी निरंतर काम किया जा रहा है। विभाग अन्य राज्यों से जब्त किए गए कछुओं को राज्य में पुनर्वासित करता है। यह प्रक्रिया राज्य के तीन केंद्रों के माध्यम से नियमित रूप से संचालित होती है।
2020 में प्रयागराज, मीरजापुर और भदोही तक फैले कछुआ अभयारण्य की स्थापना ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत हुई थी। इस क्षेत्र में कछुओं के प्राकृतिक वासों की पहचान कर संरक्षण कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह अभयारण्य गंगा नदी की जैव विविधता के लिए एक वरदान साबित हो रहा है।
भारत में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों में ब्राह्मणी, काला कछुआ, हल्दी बाथ, ढोर कछुआ, सुंदरी, मोरपंखी, कटहवा और तिलकधारी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश के जल स्रोतों में पाई जाती हैं, जिससे राज्य का महत्व राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक बढ़ गया है।
📲 समाचार सीधे व्हाट्सएप पर पाएं
देश-दुनिया की राजनीति, विकास और सामाजिक विषयों पर ताज़ा अपडेट्स के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें।
👇
🔗 WhatsApp Group Join Link
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal