नई दिल्ली। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम टैंकर घोटाले में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से पूछताछ करने के लिए रविवार को उनके घर पहुंच गई। इससे पहले एसीबी ने शीला दीक्षित को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था। टैंकर घोटाले में उनके खिलाफ अरविंद केजरीवाल की सरकार ने जांच कराई थी और शीला दीक्षित की सरकार पर 400 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था।
दरअसल, केजरीवाल सरकार ने शीला के खिलाफ जांच कराने के बाद काफी वक्त तक उस रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद भाजपा ने केजरीवाल सरकार पर घोटाले को दबाने और शीला दीक्षित को बचाने का आरोप लगाया। बीजेपी की शिकायत के बाद एएसबी ने आम आदमी पार्टी के नेताओं से भी पूछताछ की।
क्या है यह टैंकर घोटाला मामल –
गौरतलब है कि वाटर टैंकर घोटाला वर्ष 2012 का है। जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री होने के साथ जलबोर्ड की अध्यक्ष भी थी। आरोप है कि 385 स्टेनलेस स्टील के टैंकर किराए पर लेने में यह घोटाला हुआ था। इसे लेकर मौजूदा केजरीवाल सरकार ने जांच कराई थी। जिसकी रिपोर्ट अगस्त 2015 में आई। सरकार ने 11 महीने बाद इसकी जांच आगे बढ़ाई। कपिल मिश्रा की ओर से एसीबी से इस कथित घोटाले की शिकायत करते हुए जांच की मांग की गई थी। उसके बाद दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी शिकायत की। दोनों की शिकायत पर एसीबी ने बीते जून महीने में केजरीवाल सरकार व शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली थी। उसके बाद पहले 4 जुलाई को जलमंत्री कपिल मिश्रा से पूछताछ की गई फिर 14 जुलाई को शीला दीक्षित को नोटिस जारी किया गया था।
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