नई दिल्ली। भारत में अमेरिका और अन्य मित्र देशों के साथ क्षेत्रीय और वहृद क्षेत्रीय समझौते और यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापार निवेश समझौते पर विचार-विमर्श कर रहा है। भारत और ईयू में मुक्त व्यापार समझौता (एफटीऐ) पर सहमति बनी थी लेकिन दोनों पक्षों के बीच कुछ मतभेदों के कारण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए। ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर जाने के बाद भारत अब ब्रिटेन के साथ अलग एफटीऐ और ईयू के साथ एफटीए के स्थान पर द्विपक्षीय व्यापार निवेश समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहता चाहता है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने दूसरे भारत-अमेरिका सामरिक और वाणिज्यिक वार्ता (एस एंड सीडी) में अपने वक्तव्य में कहा भारत अमेरिका और अन्य मित्र देशों और संगठनों के साथ संस्थागत सुधारों के लिए काम कर रहा है। इनमें डब्ल्यूटीओ, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और संयुक्त राष्ट्र परिषद शामिल हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि कुछ लोगों ने संभावित व्यक्तियों और पेशेवरों की आवाजाही में बाधाओं के विषय में चिंता व्यक्त की थी। भारत सरकार की ओर से यह सब चिंताएं पहले भी बताई गयी हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के विशेष उपायों से यह सब बाधाएं समाप्त हो जाएंगी। जीएसटी विधेयक के विषय पर उन्होंने कहा कि टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने के लिए भारत सरकार के लगातार प्रयास असर दिखाने लगे हैं और जीएसटी विधेयक के पारित होने से एक सरल अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद हैं। आर्थिक उदारीकरण पर उन्होंने कहा विदेशी निवेश के लिए भारत ने एफडीआई नीति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं और नए क्षेत्र जैसे कि रक्षा, रेलवे आदि एफडीआई के लिए खोल दिए गए हैं। इन सब से कुछ सकारात्मक परिणाम मिले हैं और भारत में विदेशी निवेश उस समय बढ़ा है जब विश्व के अनेक देशों में आर्थिक कठनाईयां देखने को मिल रही हैं ।वर्ष 2013-14 में भारत में विदेशी निवेश 36 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो 2014-15 में बढ़कर 44.2 बिलियन डॉलर हो गया। वर्ष 2015-16 में यह और बढ़कर 55.4 बिलियन डॉलर हो गया। उन्होंने कहा अमेरिका से एफडीआई भी 2014-15 में 804 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2015-16 में 4190 मिलियन डॉलर हो गया।