लखनऊ। राजधानी लखनऊ स्थित संजय गाॅंधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के इण्डोक्राइनोलाॅंजी तथा इण्डोसर्जरी, विभाग द्वारा दो दिवसीय ‘इण्डोक्राइन ट्यूमर अधिवेशन’ का आयोजन किया गया है। यह अधिवेशन संस्थान के टेलीमेडिसिन प्रेक्षाग्रह में तीन व चार सितम्बर को आयोजित किया जायेगा। इसमें इण्डो सर्जन, फिजिशियन एवं कैंसर विशेषज्ञ भाग लेंगे।
ओस्टियोपोरेसिस भारत के उम्रदराज लोगों के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। सामान्यतः 50 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में इसकी समस्या अधिक पायी जाती है। जिसमें हर 4 महिलाओं में से 1 महिला को हड्डी टूटने का खतरा बना रहता है। जिसमें कूल्हे की हड्डी का टूटना सबसे अधिक कारण ओस्टियोपोरेसिस ही होता है तथा रीड़ की हड्डी का टूटना आदि भी इसी रोग से सम्बन्धित है। यह रोग भारत में पोषण, विटामिन डी एवं कैल्शियम के आभाव से उत्पन्न होता है। ओस्टियोपोरेसिस के कारण हड्डी का टूटना अन्य देशों की तुलना में 10-20 वर्ष पहले ही हो जाता है।
70 प्रतिशत लोग विटामिन डी के कुपोषण से ग्रसित-
भारत में 70 प्रतिशत साधारण जनता विटामिन डी के कुपोषण से ग्रसित है। भारत में प्रयोग किये जाने वाले दुग्ध से बने हुए सामग्री में विटामिन डी की उचित मात्रा उपलब्ध नहीं है साथ ही लोगों में कई कारणों से धूप से बचने की आदत है। जिससे प्राकृतिक रूप से शरीर में विटामिन डी नहीं पहुँच पाता है। विटामिन डी के आभाव से रिकेट्स, ओस्टोपोरेसिस, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर एवं कई प्रकार के अन्य संक्रमण जैसे टी.बी आदि से पीड़ित होने की सम्भावना बनी रहती है। सही खान-पान के साथ विटामिन डी का सेवन करने से इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
रजोनिवृत्ति के बाद अस्थि परीक्षण करायें महिलाएं-
एसजीपीजीआई के प्रो सुशील गुप्ता द्वारा किये गये शोध के मुताबिक 50 से ऊपर महिलाओं में 45ः से अधिक महिलाओं में कम गम्भीर ओस्टोपोरेसिस की स्थिति पाई गई। अतः यह आवश्यक है कि रजोनिवृत्ति महिलाओं के अपने अस्थि परीक्षण समय-समय पर कराते रहना चाहिए जिससे वह ओस्टोपोरेसिस जैसे घातक बिमारियों से बची रह सकें। इसी तरह 50 वर्ष से अधिक के पुरूषों में 20 प्रतिशत पुरूषों में ओस्टियोपोरेसिस है तथा 50 प्रतिशत में ओस्टोपीनिया की बीमारी है। एैसे पुरूषों को भी कूल्हे एवं रीड़ की हड्डी टूटने की सम्भावना अधिक है।