नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 11वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस रवाना हो गए हैं। 8 सितंबर को आयोजित 14वें भारत-आसियान शिखर-सम्मेलन में मोदी इस प्रभावशाली समूह के देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने और समग्र सहयोग को बढ़ाने की वकालत कर सकते हैं। भारत-आसियान व्यापाक और निवेश संबंध क्रमिक तरीके से बढ़ रहे हैं और आसियान नई दिल्ली का चैथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इस दौरान उनके अजेंडे में नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषय होंगे।
विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कुछ महत्वपूर्ण विषय भी प्रधानमंत्री मोदी के अजेंडे में होंगे। दोनों शिखर सम्मेलन गुरुवार के लिए निर्धारित है। इन शिखर सम्मेलनों में आसियान के 10 राष्ट्राध्यक्ष या शासन प्रमुख और पूर्वी एशियाई सम्मेलन में 18 देश हिस्सा ले रहे हैं। पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के नेता अनेक क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय हितों से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे जिसमें नौवहन सुरक्षा, आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और पलायन जैसे विषय शामिल होंगे। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब चीन विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने को प्रयासरत है। दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रीय स्वामित्व को लेकर चीन का फिलीपीन्स, वियतनाम, ताइवान, मलयेशिया और ब्रुनेई के साथ विवाद है। यह एक ऐसा व्यस्त जलमार्ग है जहां से भारत का 50 प्रतिशत कारोबारी माल गुजरता है।
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