नई दिल्ली। भारत ने नेपाल को नए सिरे से 750 मिलियन डॉलर का ऋण देने का फैसला किया है जिसपर शुक्रवार को दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह राशि बीते वर्ष नेपाल में आए भूंकप की त्रासदी से हुए नुकसान के बाद पुनर्निर्माण कार्यों पर व्यय की जाएगी। भारत दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के बाद दोनों देशों के बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। जिनमें नेपाल के तराई क्षेत्र में सड़क बुनियादी ढांचे में सुधार एवं उन्नयन के लिए परियोजना और प्रबंधन परामर्श सेवाओं के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) शामिल है। इसके अलावा नेपाल में भूकंप के बाद पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए दिए गए पहले ऋण में संशोधन को लेकर भी एक समझौते हुआ।
नेपाल के विकास में भारत करेगा हरसंभव मदद –
750 मिलियन डॉलर का यह ऋण भारत द्वारा नेपाल को भूकंप के बाद दी गई एक अरब डॉलर सहायता के अतिरिक्त है। नेपाल में पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में 8,000 से अधिक लोग मारे गए थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेपाल के विकास के लिए भारत हमेशा की तरह प्रतिबद्ध है और नेपाल में विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव मदद करता रहेगा। भारत नेपाल की सरकार और वहां के लोगों की प्राथिकताओं के अनुसार ही काम करेगा। उन्होंने कहा कि मुश्किल की घड़ी में हम एक दूसरे का बोझ उसी प्रकार साझा करते हैं जैसे हम एक दूसरे की उपलब्धियां साझा करते हैं।
आपस में जुड़े हैं ‘भारत और नेपाल’ के सुरक्षा हित –
इस क्षेत्र में सुरक्षा पर बल देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत और नेपाल के सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। दोनों ही देश इस बात पर सहमत हुए की विकास के साझा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमारे समाज की सुरक्षा बेहद जरूरी है। हमारे लोगों को जोड़ने वाली हमारी खुली सीमाओं की रक्षा के लिए दोनों देशों की रक्षा एवं सुरक्षा एजेंसियों के बीच जारी समन्वय एवं परस्पर सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है”। उन्होंने कहा कि हवाई क्षेत्र, सीमा-पार बिजली व्यापार, पारगमन मार्गों, सीमा-पार कनेक्टिविटी जैसी भारत की कई पहलों का सीधा लाभ नेपाल को मिलेगा और इससे हमारी आर्थिक साझेदारी को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल के ऐतिहासिक रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा। दोनों देशों के बीच कभी मतभेद नहीं रहे हैं। रिश्तों में थोड़ी नरमी-गरमी होती रहती है। लेकिन भारत सरकार का मानना है कि नेपाल के विकास से भारत की तरक्की सीधे तौर पर जुड़ी है।
मजबूत होंगे ‘पुराने संबंध’ –
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वह आश्वस्त है कि आज हुई चर्चा से हमारे सदियों पुराने संबंध और भी मजबूत होंगे और हम अपनी साझेदारी का एक नया एवं गौरवशाली अध्याय लिखेंगे। मैंने और प्रधानमंत्री प्रचंड ने सभी परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करने पर सहमति जताई। हम साझा बौद्ध विरासत का विस्तार करने और आयुर्वेद एवं चिकित्सा के अन्य पारंपरिक प्रणालियों के विकास पर ध्यान देने पर भी राजी हुए। उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी और करीबी मित्र होने के नाते नेपाल में शांति, स्थिरता और वहां के लोगों की समृद्धि ही हमारा साझा उद्देश्य है।गुरूवार को तीन दिन के भारत दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड का यहां राष्ट्रपत भवन में जोरदार स्वागत किया गया। पिछले महीने प्रधानमंत्री का कार्यभार ग्रहण करने के बाद श्री प्रचंड का यह पहला विदेश दौरा है। उनकी पत्नी सीता दहल भी उनके साथ आई हैं।