जालौन। अपर सत्र न्यायाधीश मनोज शुक्ला की अदालत में 20 नवम्बर 2014 को हुई घटना को लेकर न्यायालय की अवमानना के मामले का सामना कर रहे 10 स्थानीय अधिवक्ताओं में सात को हाईकोर्ट ने सजा सुना दी है।दोषी करार दिये गये अधिवक्ताओं में जिला बार संघ के तत्कालीन अध्यक्ष प्रद्युम्न श्रीवास्तव भी शामिल हैं। हालांकि हाईकोर्ट ने सजा को दो महीने के लिए स्थगित रखा है तांकि इस बीच अधिवक्ता चाहें तो उच्चतम् न्यायालय में अपील दायर कर सकते हैं।उच्च न्यायालय के सतर्कता प्रकोष्ठ द्वारा उरई आकर की गई जांच के बाद वकीलों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई थी। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस शशिकांत की डबल बैंच ने इसमें सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले के लिए आज की डेट तय की थी। इस कारण जिले की जजी में भी आज वकीलों से लेकर न्यायाधीशों के बीच काफी सरगर्मी सुबह से ही रही। दोपहर में इलाहाबाद में जैसे ही फैसला घोषित हुआ तत्काल मोबाइल से जिले में जानकारी आ गई जिसके बाद वकीलों के बीच कहीं खुशी कहीं गम का माहौल देखा गया।डबल बैंच ने बार संघ के तत्कालीन महासचिव अरविंद गौतम के साथ सीनियर फौजदारी अधिवक्ता रघुनाथ विश्नोई और सैय्यद युसुफ इश्तियाक को बरी कर दिया। प्रद्युम्न श्रीवास्तव, कर्मक्षेत्र अवस्थी, उदय शंकर द्विवेदी राजा, पंकज गुप्ता, आफताब आलम, ज्ञानेंद्र सिंह राजावत और सुरेश दीक्षित को डबल बैंच ने दोषी ठहराया और छह महीने के साधारण कारावास के साथ एक साल तक न्यायालय परिसर में उनका प्रवेश वर्जित करने की सजा सुना दी। हालांकि इस सजा के क्रियान्वयन को डबल बैंच ने दो माह के लिए स्थगित रखा है तांकि इस बीच प्रभावित वकीलों को उच्चतम् न्यायालय में अपील दायर करने का अवसर मिल सके।