लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शुक्रवार को कहा कि अब वह लेखक बन गये हैं। राजधानी स्थित मोती महल लॉन में 14वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला के उद्घाटन समारोह में राज्यपाल ने राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन करते हुए कहा कि पुस्तके अकेलेपन की साथी होती हैं। नाईक ने कहा कि पिछले साल मैं राज्यपाल की हैसियत से पुस्तक मेला का उद्घाटन करने आया था। पर इस बार मैं लेखक भी बन गया हूँ। बचपन से लेकर राजभवन आने तक के संस्मरण मेरी पुस्तक ‘‘चरैवेति! चरैवेति!! के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं। उन्होंने बताया कि अप्रैल माह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीश ने उनकी पुस्तक की मराठी संस्करण का लोकार्पण किया था। शीघ्र ही हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी और गुजराती भाषाओं में भी पुस्तक ‘‘चरैवेति! चरैवेति!!’’ का प्रकाशन किया जायेगा।
जो पढे़गा वही बचेगा-
राज्यपाल ने कहा कि लखनऊ कला की राजधानी है। पुस्तक मेला का लाभ बुद्धजीवी, विद्यार्थी और शिक्षकगण सहित आम नागरिक भी उठायें। अच्छा पाठक वही है जो किताब खरीदकर पढे़। मराठी में मुहावरा है कि जो पढे़गा वही बचेगा। पढ़ते रहने से ज्ञान बढ़ता है। ज्ञान और जानकारी में फर्क है। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए किताब पढ़ना जरूरी है।
दहेज हत्या और महिला अत्याचार के प्रति समाज में जागरूकता की ज़रूरत –
पुस्तक मेला की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह स्वागतयोग्य है कि इस वर्ष पुस्तक मेला की थीम ‘महिला सशक्तिकरण‘ पर केन्द्रित है, जबकि गत वर्ष पुस्तक मेला ‘भारतीय संविधान‘ पर आधारित था। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज में सोच बदलनी चाहिए। भू्रण हत्या, दहेज हत्या और आये दिन महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के प्रति समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। समय बदल रहा है। विश्वविद्यालय स्तर पर यह देखने में आया है कि 65 प्रतिशत महिलायें स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त कर रही हैं। बेहतर अवसर मिलता है तो बेटियाँ मेहनत के आधार पर आगे बढ़ती हैं। घर के काम-काज के साथ बेटियाँ पढ़ाई के प्रति भी गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह सशक्तिकरण का एक चित्र है जिसे आगे ले जाने की जरूरत है।
महिलाओं को मिले ज्यादा से ज्यादा सुविधा –
राज्यपाल ने बताया कि विधायक, सांसद और मंत्री रहते हुए उन्होंने महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनकी सुविधा के लिए महिला लोकल धुंआ रहित रसोई के लिए ज्यादा से ज्यादा गैस कनेक्शन जारी करना, पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए पांच किलो के छोटे सिलेण्डर उपलब्ध कराना, स्तनपान प्रोत्साहन के लिए डिब्बा बंद शिशु आहार पर यह लिखना कि ‘माँ का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है‘, जैसे कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले, इस पर विचार करने की जरूरत है। राज्यपाल ने इस अवसर पर मीडिया फोटोग्राफर्स क्लब द्वारा आयोजित सामूहिक फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर पुस्तक मेला संयोजक आस्था ढल, आकर्षण जैन, मुरलीधर आहूजा, सर्वेश अस्थाना सहित बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे।