इलाहाबाद। एनआरएचएम घोटाले के आरोपी बसपा सरकार में मंत्री रहे अनंत कुमार मिश्रा व इनके माता-पिता श्रीमती विमला मिश्र व दिनेश चन्द्र मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अन्तरिम राहत देने से इंकार कर दिया है। गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने अन्तू मिश्रा व उनके माता पिता के खिलाफ गैर जमानती वारंट व कुर्की आदेश जारी किया है।
कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए याचियों को 4 नवम्बर को सीबीआई कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है और कहा है कि ट्रायल कोर्ट क्षेत्राधिकार पर उठाये गये सवालों को लेकर दाखिल अर्जी का निस्तारण करे। हाईकोर्ट के इस आदेश से पूर्व मंत्री और उनके माता-पिता की मुश्किलें बढ़ गयी हैं और उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन ने पूर्व मंत्री अनंत मिश्र व उनके माता पिता की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश चन्द्र मिश्र व पी चक्रवर्ती ने बहस की। इनका कहना था कि सीबीआई कोर्ट ने पहले दिन ही चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए गैर जमानती वारंट जारी किया। याची ने कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर आपत्ति करते हुए अर्जी दाखिल की है।
अर्जी की सुनवाई की तिथि 4 नवम्बर नियत है। किन्तु कोर्ट ने याची के खिलाफ धारा 82 का आदेश जारी किया है। श्री मिश्र ने शिवकुमार परियार केस का हवाला देते हुए कहा कि क्षेत्राधिकार पर आपत्ति अर्जी निर्णीत किये बगैर कोर्ट याची के उत्पीड़न की कार्यवाही नहीं कर सकती। साथ ही अनंत मिश्र एनआरएचएम विभाग के मंत्री नहीं थे और सीबीआई ने उन्हें फंसाया है।
श्री मिश्र का कहना था कि जहां तक माता पिता का प्रश्न है उन पर घोटाले का आरोप नहीं है। आपराधिक उत्प्रेरण का आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि छह सीएमओ से 22 करोड़ लेकर माता-पिता की कंपनी में लगाया जबकि वह कंपनी 50 लाख की भी नहीं है। सीबीआई ने बिना पर्याप्त सबूत के पूरे परिवार को फंसाया है। सीबीआई द्वारा एकत्र साक्ष्यों से इनके विरुद्ध कोई आरेाप नहीं बनता। कोर्ट ने इन्हें सीबीआई र्काट मेें हाजिर होकर पक्ष रखने को कहा है।