लखनऊ। प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में बिहार की तर्ज पर भाजपा के खिलाफ सेकुलर गठबंधन की राह आसान नहीं लग रही है।
कांग्रेसी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के साथ हुई एक सप्ताह में दूसरी के बाद भी गठजोड़ को लेकर कोई हलचल नहीं है।
वहीं राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह की तटस्थता व मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना को लेकर असमंजस्य बना हुआ है।
कांग्रेस का एक वर्ग प्रशांत किशोर की मुलायम से लगातार हो रही मुलाकातों को लेकर सवाल उठा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर जिनके की सपा नेताओं से संबंध काफी बिगड़े हुए हैं, सपा से तालमेल के एकदम खिलाफ हैं।
कांग्रेस के एक उच्च सूत्र ने स्वीकार किया है कि कांग्रेस पिछले चार माह से राज्य में ‘27 साल यूपी बेहाल’ का नारा लगा रही है, ऐसी दशा में अब चुनाव के ऐन वक्त पर उसी पार्टी जिसे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार व अपराध के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, हाथ मिलाया गया तो कांग्रेस के उच्च जातियों व ब्राह्मण वोट बैंक बुरी तरह बिदक सकता है। दूसरा अहम कारण बूथ स्तर पर सपा व कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आपसी कड़वाहट व दूरियां होना है। सपा में तालमेल व महागठबंधन को लेकर चौधरी अजित सिंह पहले ही सवाल उठा चुके हैं।
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