नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक अब शराब की दुकानें नहीं होंगी। अब राजमार्गों पर शराब की बिक्री नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला लिया है। यह भी साफ किया गया है कि जिनके पास लाइसेंस हैं वे समाप्त होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी। यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी।
शराब की दुकानों के नए लाइसेंस जारी नहीं होंगे। लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं होगा। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह फैसला लागू होगा। राजमार्गों के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड भी हटाए जाएंगे। राज्यों के चीफ सेकेट्री और डीजीपी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की निगरानी करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया है जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो। प्रत्येक वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकती है।
पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। वास्तव में पंजाब सरकार का कहना था कि अगर राजमार्ग एलिवेटेड हो तो उसके नीचे या करीब शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाए। पंजाब सरकार की इस दलील पर पीठ ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा ‘आप यह गौर कीजिए कि कितने को आपने लाइसेंस दे रखा है। उत्पाद विभाग, उत्पाद मंत्री और राज्य सरकार भी खुश है क्योंकि वह पैसे बना रही है।
शराब पीने से वाहन चलाने के कारण दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। प्रत्येक वर्ष डेढ़ लाख लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत होती है। आप आम लोगों के हितों के ध्यान में रखते हुए कुछ कीजिए, पीठ ने कहा। पीठ ने राज्यों द्वारा राजमार्गों के बगल से ठेके हटाने के काम में बरती जा रही उदासीनता पर कड़ी नाराजगी दिखाई।
पीठ ने कहा कि राजस्व के लिए राज्यों द्वारा राज्यमार्गों के अगल-बगल शराब का लाइसेंस देने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह कोई कारण नहीं हो सकता। पिछले 10 वर्षों में इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। लिहाजा हमें दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई किया।