नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गर्वनर बने विरल आचार्य दरअसल कम्प्यूटर साइंस में PHD करने अमेरिका गए थे।
उन्होंने लेकिन एक साल बाद ही PHD (कम्प्यूटर साइंस) छोड़कर फाइनेंस में पीएचडी ज्वाइन कर ली।
विरल आचार्य का 20 साल पहले लिया एक फैसला आज उनको आरबीआई का डिप्टी गर्वनर बना गया। आचार्य ने 1991-95 में आईआईटी, मुंबई से कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बीटेक किया।
उसके बाद विरल आचार्य न्यूयार्क यूनिवर्सिटी में पीएचडी में दाखिला लिया। वहां 1995 में विरल आचार्य ने कम्प्यूटर साइंस में PHD करना शुरू की।
न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के मुताबिक विरल आचार्य ने 1995-96 तक कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी की, लेकिन एक साल बाद उन्हें दुनिया के जाने-माने स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनेंस में PHD करने का मौका मिला। तब 1996 में विरल आचार्य ने कम्प्यूटर साइंस में PHD छोड़कर फाइनेंस में अपनी रिसर्च शुरु कर दी।
उन्होंने बैंकिंग और फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट्स पर अपनी पीएचडी की। उनकी पीएचडी को फाइनेंस में बेस्ट पीएचडी का अवार्ड भी मिला है। उसके बाद विरल आचार्य ने लंदन बिजनेस स्कूल और फिर स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में पढ़ाना शुरु किया।
उनकी किताबों, रिसर्च पेपर को कई अवार्ड मिले।एक अखबार के मुताबिक पिछले 3 साल की रैंकिंग में स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस दुनिया के टॉप 20 बिजनेस संस्थानों में आता है।
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