काठमांडू। मुख्य विपक्षी दल CPN-UML और अन्य सीमांत पार्टियों के विरोध के बीच नेपाल सरकार ने रविवार को संसद में संविधान संशोधन बिल पेश किया। इसके माध्यम से आंदोलनरत मधेशी पार्टियों की मांगों को पूरा करने का प्रयास किया गया है।
विधेयक गत 29 नवंबर को ही संसद सचिवालय में पंजीकृत कर दिया गया था, लेकिन CPN-UML की अगुआई में 9 पार्टियों के लगातार विरोध के कारण प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार इसे सदन में पेश नहीं कर सकी थी। विपक्षी दलों का दावा है कि विधेयक राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। इसे वापस लिया जाना चाहिए।
यही कारण था कि जब संसदीय कार्य मंत्री अजय नायक विधेयक पेश कर रहे थे, विपक्षी सांसद विरोधस्वरूप खड़े थे। विधेयक का उद्देश्य आंदोलनरत मधेशी और जातीय समूहों की मांग को समायोजित करना है। इसमें नागरिकता और सीमांकन सहित अन्य दूसरे मुद्दे शामिल हैं। प्रांतीय सीमा का पुनर्सीमांकन और नागरिकता का मुद्दा मधेशियों की दो मुख्य मांगें हैं।