राष्ट्रवाद के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसी गरीबोन्मुखी छवि की रणनीति को पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़ाया है. ‘इंदिरा ने गरीबी हटाओ जैसे नारे के साथ गरीब शब्द को अपने साथ चिपका लिया था,
लेकिन अब एक खालीपन है और मौजूदा कांग्रेस नेतृत्व के सूत्रधार सोनिया गांधी-राहुल गांधी उस छवि के साथ खुद को जोड़ने में नाकाम रहे हैं. उसी खालीपन को भरने के लिए मोदी अपनी योजनाओं के केंद्र में गरीब को लक्ष्य बनाकर गरीब की सेवा को अपने नाम के साथ जोड़ना चाहते हैं…’ ये बात बीजेपी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार कहते हैं. आइए जानें किस तरह इंदिरा की राह पर बढ़ रहे हैं मोदी…
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1. इंदिरा गांधी: पार्टी में चुनौती नहीं
नरेंद्र मोदी: किसी में चुनौती देने की हिम्मत नहीं
2. इंदिरा गांधी: संगठन पर पकड़ बनाए रखी
नरेंद्र मोदी: परोक्ष रूप से संगठन पर भी मजबूत पकड़
नरेंद्र मोदी: पीएमओ को सबसे ताकतवार बनाया
4. इंदिरा गांधी: 1969 में प्रतिबद्ध नौकरशाही की मांग
नरेंद्र मोदी: नौकरशाही के प्रति कठोर
5. इंदिरा गांधी: बैंकों का राष्ट्रीयकरण
नरेंद्र मोदी: नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला
6. इंदिरा गांधी: गरीबी हटाओ का नारा
नरेंद्र मोदी: गरीब मदद नहीं सेवा का क्षेत्र
7. इंदिरा गांधी: कठोर पाक विरोधी नीति
नरेंद्र मोदी: पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक वाला कदम
8. इंदिरा गांधी: इंदिरा हटाओ नारे को विपक्ष के खिलाफ चुनावी मुद्दा बनाया
नरेंद्र मोदी: मोदी का भी नारा, मैं कहता हूं भ्रष्टाचार मिटाओ वे कहते हैं मोदी हटाओ
9. इंदिरा गांधी: शुरू में गूंगी गुडि़या कही जाती थीं
नरेंद्र मोदी: 2002 के पहले पार्टी में कोई खास वजूद नहीं
10. इंदिरा गांधी: सिंडिकेट नेताओं निजलिंगप्पा, मोरारजी, कामराज से लोहा लिया
नरेंद्र मोदी: पार्टी में आडवाणी समेत बड़े नेताओं से लोहा लेना पड़ा
11. इंदिरा गांधी: अधिनायकवादी छवि थी
नरेंद्र मोदी: इनकी भी छवि वैसी ही
12. इंदिरा गांधी: फैसलों में बेहद रहस्यमयी
नरेंद्र मोदी: मोदी भी रहस्यमयी
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