नई दिल्ली । बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगातार हो रही देरी पर नाराजगी जताई है। जिसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत कई बड़े नेताओं की मुश्किल बढ़ सकती है। कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी आधार पर आरोपियों से मुकदमा वापस नहीं लिया जा सकता।
बता दें कि सीबीआई की अपील के बाद हाइकोर्ट ने मुख्य आरोपियों से आरोप वापस ले लिए थे। कोर्ट ने इस पर भी आपत्ति जताई है। साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद भाजपा और विहिप के वरिष्ठ नेताओं के लिए मुश्किल दोबारा खड़ी हो सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद 25 साल पुराना मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। आइए एक बार डालते हैं इस पूरे मामले और इसके आरोपियों पर एक निगाह। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बाबरी विध्वंस का मुख्य सूत्रधार माना जाता है। विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों को मुक्त करने का अभियान चलाया और इसी कड़ी में आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा की थी। इससे पूर्व बाल ठाकरे ने मुंबई के दादर में आडवाणी की रथ यात्रा का स्वागत किया थी।
कहा जाता है कि उसी दिन आडवाणी ने पंचवटी में घोषणा की थी कि बाबरी मस्जिद कभी भी मस्जिद नहीं रही और हिंदू दोबारा वहां मंदिर बनाने के लिए कृतसंकल्प हैं। चार्जशीट के अनुसार 1991 में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इस योजना में सक्रिय योगदान दिया।
पांच दिसंबर 1992 को अयोध्या मे भाजपा नेता विनय कटियार के घर पर एक गोपनीय बैठक हुई, जिसमें विवादित ढांचे को गिराने का निर्णय लिया गया। हालांकि हाइकोर्ट के आदेश के बाद आडवाणी से मस्जिद गिराने का मुकदमा वापस ले लिया गया, अब उन पर भावनाएं भड़काने का मुकदमा चल रहा है।
बाबरी विध्वंस के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम उन 13 लोगों में शामिल था जिन्हें मस्जिद गिराने के षडयंत्र में शामिल माना गया था। सीबीआई की चार्जशीट के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कल्याण सिंह ने मुरली मनोहर जोशी और अन्य नेताओं के साथ अयोध्या जाकर शपथ ली थी कि विवादित स्थान पर ही मंदिर का निर्माण होगा। कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दिए दिर की सुरक्षा के आश्वासन के वादे को भी पूरा नहीं किया।
मुरली मनोहर जोशी
वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे मुरली मनोहर जोशी भाजपा के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं जिनका नाम इस मामले में शामिल है। राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही थी। जोशी छह दिसंबर को विवादित परिसर में मौजूद थे। सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार मस्जिद का गुम्बद गिरने पर उमा भारती आडवाणी और जोशी के गले मिल रही थीं। जोशी के बारे में अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया है कि वे और आडवाणी कार सेवा अभियान के लिए मथुरा और काशी होते हुए दिल्ली से अयोध्या के लिए चले।