वॉशिंगटन। अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार रात से अब तक अमेरिका सीरियाई सरकार के हवाई ठिकानों पर 50 से ज्यादा मिसाइलें दाग चुका है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक सीरियाई सरकार की ओर से किए गए रासायनिक हमले के जवाब में यह कार्रवाई की जा रही है पिछले 6 साल से गृहयुद्ध की मार झेल रहे सीरिया में पिछले दिनों बशर अल असद की सरकार पर अपने ही नागरिकों के खिलाफ रासायनिक हमला किया। उसमें 20 बच्चों समेत तकरीबन 100 लोगों की मौत हो गई थी।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि सीरिया के हवाई ठिकानों पर टॉमहॉक मिसालइलें दागी गई हैं। यह पहली बार है, जब व्हाइट हाउस ने सीरियाई सुरक्षा बलों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के इडलिब में रासायनिक हमले के लिए सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को जिम्मेदार ठहराया था। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में सीरिया के खिलाफ कार्रवाई करने की सहमति नहीं बनने के बाद अमेरिका ने स्पष्ट कह दिया था कि अगर यूएन अपनी जिम्मेदारी निर्वहन नहीं करता है, तो वह खुद ही सीरियाई सरकार के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
अन्य देशों को कड़ा संदेश
ट्रंप ने सीरिया, यमन और इराक में सैन्य कार्रवाई का आदेश देकर उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों को भी कड़ा संदेश दिया है कि अगर वह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। माना जा रहा है कि अमेरिकी सेना इन देशों में भी कार्रवाई करने की तैयारी में है। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने पहली बार सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया।
सीरियाई मीडिया ने अमेरिका के हवाई हमले को आक्रमण करार दिया है। अमेरिका ने सीरियाई सरकार के हवाई ठिकानों पर मिसाइलें दागी जा रही हैं। सीरियाई सुरक्षा बलों को सीधे तौर पर निशाना बनाया जा रहा है।
ट्रंप की अपील
ट्रंप ने सीरियाई सरकार के हवाई ठिकानों पर क्रूज मिसाइल से किए जा रहे हमले को सीरिया के हित में करार दिया। उन्होंने सीरियाई नागरिकों से इसमें अमेरिका की मदद करने की अपील की।
उन्होंने कहा कि सीरिया में हत्याओं को बंद करने के लिए नागरिक अमेरिका के साथ आएं। ट्रंप ने साफ कहा कि इसमें किसी तरह का मतभेद नहीं है कि सीरियाई सरकार ने प्रतिबंधित रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर बेकसूर लोगों की जान ली। उन्होंने कहा, “मैंने सीरिया में हवाई हमले का आदेश दिया है। बशर ने कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया, जिसके चलते मुझे सोचने पर मजबूर होना पड़ा।”