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भाजपा का उड़ीसा में बड़ा दांव, अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर नजर

भुवनेश्वर । गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय और त्रिपुरा को छोड़कर बीजेपी ने अपनी कार्यकारिणी की बैठक के लिए भुवनेश्वर को ही क्यों चुना? दरअसल, ओडिशा से पहले पांच और राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने कार्यकारिणी की बैठक के लिए भुवनेश्वर को चुनकर एक तरह से चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है। ओडिशा में विधानसभा चुनाव, अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने हैं।

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बीजेपी नेताओं का कहना है कि दरअसल, पांच में से तीन अहम राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी स्वाभाविक तौर पर सत्ता की दावेदार है, लेकिन ओडिशा में बीजेडी से अलग होने के बाद वह मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं रही। हाल में हुए स्थानीय निकायों के चुनाव के बाद बीजेपी को यह उम्मीद बंधी है कि मोदी के जलवे की बदौलत ओडिशा में भी वह सत्ता तक पहुंच सकती है। यूपी के बाद उसका यह विश्वास और मजबूत हुआ है। ऐसे में कार्यकारिणी के लिए भुवनेश्वर को ही चुना गया।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने एक तरह से यहां कार्यकारिणी की बैठक करके 2019 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान की शुरुआत कर दी है। ताकि अगले अगले डेढ़ साल में ओडिशा पर फोकस करके यहां न सिर्फ अपनी जड़ें मजबूत की जाएं बल्कि माहौल को इस तरह से बनाया जाए कि अगले चुनाव तक आते-आते पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल इतना हो जाए कि वे सत्ता की लड़ाई लड़ें। इसके अलावा दूसरी वजह यह है कि पार्टी को लगने लगा है कि कांग्रेस अब ओडिशा में भी और सिमटने जा रही है। ऐसे में बीजेडी की वह विकल्प बनकर सामने आना चाहती है। पार्टी महासचिव राममाधव का कहना है कि ओडिशा ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी के लिए बड़ी संभावनाएं हैं और यहां पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी।

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बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी को यह लग रहा है कि अगर यहां पार्टी चुनाव के लिए नवीन पटनायक बनाम मोदी अभियान चलाती है तो उसमें लोगों की पसंद मोदी ही होंगे। ऐसे में पार्टी की यह भी रणनीति है कि 2019 से पहले मोदी ओडिशा में अलग-अलग स्थानों पर हर एक दो महीने में दौरा करें ताकि लोगों में मोदी के प्रति आकर्षण और बढ़े।

लोकसभा में भी फायदा

पार्टी नेताओं को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव जीतने के लिए ओडिशा जैसे राज्य में बीजेपी को मजबूत करना जरूरी है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां सिर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था। पार्टी यह जानती है कि राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में अगली बार लोकसभा की उसकी सीटें कम हो सकती हैं। ऐसे में उनकी भरपाई के लिए ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर फोकस करना जरूरी है। अगर पार्टी मजबूत होती है तो विधानसभा ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को फायदा होगा।

 

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