पाकिस्तान के चुनावों में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ को बड़ी जीत मिली है और खुद इमरान खाँ नेशनल असेंबली यानी पाकिस्तानी संसद की उन सभी पाँच सीटों को जीत गए हैं जिस पर वह चुनाव लड़ रहे थे. साथ ही पाकिस्तानी इतिहास में राजनैतिक खानदानों को नकारते हुए इस बार जनता ने इमरान को चुना है.
फोटो – गूगल साभार
पाकिस्तान की संसद जिसे नेशनल असेंबली कहा जाता है वहाँ की 342 सीटों के लिए चुनाव हुए थे, और जिसकी गिनती 25 जुलाई से जारी थी. आज लगभग सभी सीटों के परिणाम आ चुके हैं और नेशनल असेंबली में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को 118 सीटें मिल चुकी हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 136 से थोड़ी सी कम हैं, यानी पाकिस्तान के सबसे बड़े दल के रूप में इमरान खान की पार्टी उभरी है.
यहाँ यह बता देना जरूरी है कि नेशनल असेंबली की 342 सीटों में 60 महिलाओं और 10 अल्पसंख्यकों के लिए रिजर्व होती हैं, जिनका प्रत्यक्ष चुनाव या डायरेक्ट इलेक्शन नहीं होता है, चुनावों में डायरेक्ट इलेक्शन जिसमें चुनाव के दौरान खुला मतदान होता है, उनकी संख्या 272 होती है और बहुमत के लिए इसमें से 136 सीटों को प्राप्त करना जरूरी है.
ताज़ा प्राप्त जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को 118, पीएमएल (एन) को 64 और पीपीपी को 43 सीटें प्राप्त हुई हैं. इन चुनावों में खास बात यह रही है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी और उनके बेटे भी चुनाव हार गए हैं. वही निवर्तमान प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी भी अपनी दोनों सीटों हार गए हैं.
पाकिस्तान में इमरान खान भ्रष्टाचार मिटाने और असमानता को दूर करने के वादे के साथ आए हैं. और इसी पर जनता ने उनका साथ दिया है, अभी तक पाकिस्तान की सियासत पंजाबी वर्चस्व की मानी जाती रही है. लेकिन नस्ल से पश्तूनी इमरान खान शायद इस बात को बदल दें.
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लेकिन इन चुनावों में यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि सेना इमरान खान को समर्थन दे रही थी. इसी को लेकर पाकिस्तान में आल पार्टी काउंसिल की बैठकें हो रही है, और चुनाव को खारिज़ करने की बात की मांग की जा रही है. शेरी रहमान, और बिलावल भुट्टो के बयान लगातार इसके खिलाफ़ आ रहे हैं.
अपने पहले संबोधन में इमरान खान ने बेहतर पाकिस्तान बनाने और बदले की राजनीति से हटने का वादा किया है. साथ ही भारत से अपने रिश्ते सुधारने की बात की है. इमरान खान ने कहा अगर भारत अगर एक कदम चलेगा तो वह दो कदम आगे चलेंगे. साथ ही उन्होंने डॉलर रेट सुधारने और पाकिस्तान में निवेश लाने की भी बात की है. सबसे अहम बात रही है कि इमरान ने प्रधानमंत्री आवास के बड़े बंगले में रहने से मना कर दिया है.
अब इमरान खान के सामने पहली चुनौती असेंबली में अपना बहुमत साबित करना है. जिसके लिए उनको गठबंधन करना पड़ेगा. साथ ही चूँकि आज़ाद उम्मीदवारों की संख्या अच्छी है, तो यह देखना होगा कि इमरान खान आज़ाद उम्मीदवारों से गठबंधन करते हैं या फिर किसी पार्टी से. खबर लिखने जाने तक इमरान आर एमक्यूएम के बीच बातचीत शुरू हो चुकी थी. बताते चलें कि एमक्यूएम अल्ताफ़ हुसैन की पार्टी है जो मुहाज़िर और सिंध के मुद्दों की राजनीति करती रही है.