क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने पंजाब के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने के विवाद के बाद आलोचकों के हर बाउंसर का बखूबी जवाब दिया है. इंडिया टुडे-आजतक को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सिद्धू ने कहा कि वह ‘एक इंसान हैं, कोई रोबोट नहीं.’
उन्होंने सवाल किया कि स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 1999 में लाहौर यात्रा और पीएम नरेंद्र मोदी की 2015 की पाकिस्तान यात्रा को भी क्या उनके समर्थक ‘देश विरोधी’ गतिविधियां मानेंगे.
नवजोत सिद्धू ने कहा कि जनरल बाजवा ने बताया है कि पाक सरकार भारत के डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक एक कॉरिडोर खोलने की कोशिश करेगी. इससे 550वें गुरु नानक प्रकाश उत्सव के दौरान तीर्थयात्रियों को आने-जाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘आप मुझसे क्या उम्मीद करते हैं? उनसे मुंह फेर लेता? आखिर मैं एक इंसान हूं.
पाक सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा के हावभाव की तारीफ करते हुए कहा, ‘क्या पहले इस तरह कोई सेनाध्यक्ष खुद चलकर किसी के पास गया था और यह बताया था कि उसके तीर्थ तक आवाजाही को आसान बनाया जा रहा है? गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर हमारे लिए मक्का जैसा है. यह हमारे सपनों को पंख मिलने जैसा है. लोग बड़ी संख्या में डेरा बाबा नानक साहब आएंगे और आंखों में आंसू लिए वापस जाएंगे. जनरल बाजवा के इन शब्दों का मतलब मेरे लिए दुनिया मिल जाने जैसा था.’
सिद्धू ने कहा, ‘यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी, जब कोई व्यक्ति आपकी तरफ हाथ बढ़ाता है तो आप भी उसकी तरफ हाथ बढ़ा देते हैं. कोई व्यक्ति यदि बिना मांगे कुछ दे रहा हो तो आप द्रवित हो जाते हैं. लगता है कि युगों से हम इंसान होना भूल गए हैं.’
क्या गले लगना जरूरी था
लेकिन बाजवा से गले क्यों मिले? वह उनसे सिर्फ हाथ मिलाकर काम चला सकते थे? इस पर सिद्धू ने कहा, ‘पाकिस्तान में मुझे कम से कम दस हजार लोगों ने गले लगाया होगा. क्या इससे मैं राष्ट्र विरोधी हो गया? पाकिस्तान में जो कोई भी मेरे करीब आया, मैंने उसके प्रति प्रेम और लगाव महसूस किया.’