गुजरात के गिर अभयारण्य में 23 शेरों और कानपुर के चिड़ियाघर में बाघों की कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से मौत को देखते हुए वन विभाग की वाइल्ड लाइफ शाखा ने अलर्ट जारी किया है। शाखा ने प्रदेश के सभी संरक्षित वन्यप्राणी क्षेत्र और सामान्य वनमंडल अधिकारियों से सतर्क रहने को कहा है।प्रदेश के दोनों पड़ोसी राज्यों में वायरस की उपस्थिति से मप्र के वन अधिकारी चिंतित हैं। अधिकारियों ने वायरस की सक्रियता को देखते हुए मैदानी अधिकारियों से विशेष सतर्कता बरतने को कहा है।
प्रदेश के संरक्षित या गैर संरक्षित क्षेत्रों में बाघ, तेंदुए की मौत पर अब अधिकारियों को कैनाइन डिस्टेंपर वायरस को ध्यान में रखकर पोस्टमार्टम कराना होगा। वहीं जंगल में नियमित गश्त बढ़ानी होगी, ताकि किसी भी वन्यप्राणी की मौत होने की जानकारी जल्द से जल्द अधिकारियों को मिल सके। वर्तमान में प्रदेश में चार सौ से ज्यादा बाघ हैं।
वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश में अभी इस वायरस की सक्रियता के संकेत नहीं मिले हैं। इसलिए असुरक्षा की बात नहीं की जा सकती है। सभी संरक्षित क्षेत्रों के बफर एरिया और उससे सटे क्षेत्र में चराई करने आने वाले मवेशियों का वैक्शीनेशन लगातार किया जा रहा है।
हालांकि बाघों के उपस्थिति वाले इलाकों के आसपास रहने वाले कुत्तों का वैक्शीनेशन सिर्फ पन्ना टाइगर रिजर्व के आसपास किया गया है। इस इलाके में वैक्शीनेशन का दूसरा दौर शुरू होना है। इस पार्क में वर्ष 2015 में इस वायरस से एक बाघ की मौत हुई थी। इसके बाद से ही कुत्तों का वैक्शीनेशन किया जा रहा है।
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