यूपी में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखे जाने के बाद अब इलाहाबाद का नाम भी जल्द ही प्रयागराज हो जाएगा. इस सिलसिले में गंगा-यमुना की संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदले जाने की चर्चा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि जल्द ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का प्रयास चल रहा है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि राज्यपाल महोदय ने भी इस पर अपनी सहमति दी है. जब हम प्रयाग की बात करते हैं तो जहां दो नदियों का संगम होता है, वह अपने आप में एक प्रयाग हो जाता है. आपको उत्तराखंड में विष्णु प्रयाग, देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग देखने को मिलेंगे.”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमालय से निकलने वाली दो देव तुल्य पवित्र नदियां- गंगा और यमुना का संगम इस पावन धरती पर होता है तो स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है। हमने उनकी इस बात का समर्थन किया है और हमारा प्रयास होगा कि बहुत जल्द हम इस नगर का नाम प्रयागराज करें.”
इस मुहिम के साथ ही शहरों का नाम बदलने की चर्चा फिर से शुरू हो गई है. शहरों के संदर्भ में देखा जाए तो सबसे ताजा मामला गुरुग्राम का है. दो साल पहले हरियाणा के इस शहर का नाम गुड़गांव से गुरुग्राम कर दिया गया. आलोचकों का कहना है कि शहरों के नाम बदलने की यह कवायद संघ की उस सोच का हिस्सा है जिसके तहत स्थानों का नाम उनके अतीत और संस्कृति के आधार पर होना चाहिए. इसीलिए संघ पहले से ही कई शहरों को उनके ऐतिहासिक नामों से ही संबोधित करता है. आलोचक इसको ‘विदेशी’ प्रभाव के खात्मे और भारतीय इतिहास को नए सिरे से व्याख्यायित किए जाने के संदर्भ से भी जोड़कर देखते हैं.
औरंगाबाद
इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम शंभाजी नगर और हैदराबाद का नाम देवी भाग्यलक्ष्मी के आधार पर भाग्यनगर रखने की मांग हो रही है. शंभाजी छत्रपति शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे. मुगलों ने पकड़कर उनकी हत्या कर दी थी. शिवसेना लंबे समय से औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग कर रही है. 1990 के दशक में जब महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी सरकार थी, तब इसकी औपचारिक प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी लेकिन बात उससे आगे नहीं बढ़ पाई. 1996 में इसी सरकार के दौरान बंबई (बांबे) का नाम स्थानीय मुंबा देवी के आधार पर मुंबई किया गया था
बंगलौर बना बेंगलुरू
हालांकि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार जब 2014 में सत्ता में आई तो उसके तत्काल बाद बंगलौर का नाम बेंगलुरू करने की औपचारिक सहमति दी गई. इसके साथ ही कर्नाटक के 11 शहरों के नाम भी बदले गए. एनडीए सरकार ने ही दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति डॉएपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया.
राज्यों के नामों में बदलाव
राज्यों के नामों में परिवर्तन के लिहाज से सबसे ताजा उदाहरण ओडिशा और पुडुचेरी का है. 2011 में औपचारिक रूप से इनके अंग्रेजी स्पेलिंग में बदलकर इनका नाम उड़ीशा से ओडिशा और पोंडिचेरी का पुडुचेरी किया गया. इसी की तर्ज पर केरल का नाम बदलकर केरलम किए जाने की मांग उठ रही है.
यूपी में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखे जाने के बाद अब इलाहाबाद का नाम भी जल्द ही प्रयागराज हो जाएगा. इस सिलसिले में गंगा-यमुना की संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदले जाने की चर्चा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि जल्द ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने का प्रयास चल रहा है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि राज्यपाल महोदय ने भी इस पर अपनी सहमति दी है. जब हम प्रयाग की बात करते हैं तो जहां दो नदियों का संगम होता है, वह अपने आप में एक प्रयाग हो जाता है. आपको उत्तराखंड में विष्णु प्रयाग, देव प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग, कर्ण प्रयाग देखने को मिलेंगे.”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमालय से निकलने वाली दो देव तुल्य पवित्र नदियां- गंगा और यमुना का संगम इस पावन धरती पर होता है तो स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है। हमने उनकी इस बात का समर्थन किया है और हमारा प्रयास होगा कि बहुत जल्द हम इस नगर का नाम प्रयागराज करें.”
इस मुहिम के साथ ही शहरों का नाम बदलने की चर्चा फिर से शुरू हो गई है. शहरों के संदर्भ में देखा जाए तो सबसे ताजा मामला गुरुग्राम का है. दो साल पहले हरियाणा के इस शहर का नाम गुड़गांव से गुरुग्राम कर दिया गया. आलोचकों का कहना है कि शहरों के नाम बदलने की यह कवायद संघ की उस सोच का हिस्सा है जिसके तहत स्थानों का नाम उनके अतीत और संस्कृति के आधार पर होना चाहिए. इसीलिए संघ पहले से ही कई शहरों को उनके ऐतिहासिक नामों से ही संबोधित करता है. आलोचक इसको ‘विदेशी’ प्रभाव के खात्मे और भारतीय इतिहास को नए सिरे से व्याख्यायित किए जाने के संदर्भ से भी जोड़कर देखते हैं.
औरंगाबाद
इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम शंभाजी नगर और हैदराबाद का नाम देवी भाग्यलक्ष्मी के आधार पर भाग्यनगर रखने की मांग हो रही है. शंभाजी छत्रपति शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे. मुगलों ने पकड़कर उनकी हत्या कर दी थी. शिवसेना लंबे समय से औरंगाबाद का नाम बदलने की मांग कर रही है. 1990 के दशक में जब महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी सरकार थी, तब इसकी औपचारिक प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी लेकिन बात उससे आगे नहीं बढ़ पाई. 1996 में इसी सरकार के दौरान बंबई (बांबे) का नाम स्थानीय मुंबा देवी के आधार पर मुंबई किया गया था.
बंगलौर बना बेंगलुरू
हालांकि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार जब 2014 में सत्ता में आई तो उसके तत्काल बाद बंगलौर का नाम बेंगलुरू करने की औपचारिक सहमति दी गई. इसके साथ ही कर्नाटक के 11 शहरों के नाम भी बदले गए. एनडीए सरकार ने ही दिल्ली के औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति डॉएपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया.
राज्यों के नामों में बदलाव
राज्यों के नामों में परिवर्तन के लिहाज से सबसे ताजा उदाहरण ओडिशा और पुडुचेरी का है. 2011 में औपचारिक रूप से इनके अंग्रेजी स्पेलिंग में बदलकर इनका नाम उड़ीशा से ओडिशा और पोंडिचेरी का पुडुचेरी किया गया. इसी की तर्ज पर केरल का नाम बदलकर केरलम किए जाने की मांग उठ रही है.