प्रतापगढ़ । DSP जिया उल हक हत्याकांड में CBI कोर्ट ने 11 साल बाद फैसला सुनाते हुए 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला प्रतापगढ़ के सीओ जिया उल हक की हत्या से जुड़ा हुआ है, जो 2012 में हुआ था। कोर्ट ने सभी दोषियों पर 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से आधी रकम जिया उल हक की पत्नी, परवीन आजाद को दी जाएगी।
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इस मामले में राजा भैया को पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें जांच में किसी तरह की संलिप्तता नहीं पाई गई। यह मामला उत्तर प्रदेश के लिए काफी संवेदनशील रहा है, और इससे संबंधित निर्णयों का स्थानीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है।
फैसले के बाद से जिया उल हक के परिवार और उनके समर्थकों में मिश्रित भावनाएँ हैं। कुछ लोग न्याय की इस प्रक्रिया को एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इस मामले में और भी कई सवाल बने हुए हैं।
यह मामला अब तक की जटिलताओं और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण भी चर्चा में रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि इससे संबंधित और विवरण भी जल्द ही सामने आएंगे।