लखनऊ। समाजवादी पार्टी की लोहिया वाहिनी विंग द्वारा जारी एक विवादित होर्डिंग को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। वायरल पोस्टर में संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आधी तस्वीर काटकर उसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तस्वीर जोड़ दी गई है। यह दृश्य जैसे ही सार्वजनिक हुआ, दलित समाज में भारी आक्रोश फैल गया और राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया।
इस पूरे मामले को लेकर उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि मामले की पूरी रिपोर्ट 5 मई 2025 तक प्रस्तुत की जाए।
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दलित संगठनों ने इसे बाबा साहेब के सम्मान के साथ किया गया गंभीर खिलवाड़ बताते हुए सपा के खिलाफ नाराजगी जताई है। कुछ सामाजिक संगठनों ने कहा कि यह पोस्टर न सिर्फ दलित भावनाओं को आहत करता है, बल्कि संविधान निर्माता के योगदान का अपमान भी है।
वहीं, विपक्षी दलों ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह राजनीतिक लाभ के लिए प्रतीकों और महापुरुषों का गलत इस्तेमाल कर रही है। भाजपा समेत कई दलों ने इस घटना की निंदा करते हुए सपा से माफी की मांग की है।
फिलहाल, पुलिस और प्रशासन पूरे मामले की जांच में जुटा है। आयोग की सख्ती के बाद यह देखा जाना बाकी है कि दोषियों के खिलाफ कितनी जल्द कार्रवाई होती है।
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